टाट वाले बाबा जी की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम का हुआ समापन



32वाँ वार्षिक वेदान्त सम्मेलन का समापन: 

 इस सदी के विलक्षण संत थे टाट वाले बाबा: कृष्णमयी  हरिद्वार 29 नवंबर (विरेन्द्र शर्मा संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार)  प्रातः स्मरणीय वेदान्त वेता श्रीश्रीश्री टाट वाले बाबा जी के 32 वें वार्षिक वेदान्त सम्मेलन के समापन अवसर पर भक्ति एवं वेदान्त की गंगा गुरु वन्दना से बिरला घाट पर प्रवाहित हुई। दुर्लभ संत श्रीश्रीश्री टाट वाले बाबा जी महाराज के सानिध्य एवं संस्मरण प्रकट करते हुए बाबा के अनन्य शिष्य स्वामी विजयानंद जी महाराज ने कहा कि कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि बाबा जी में विरक्त्तता, त्याग कोटि-कोटि कूट कर भरा हुआ था, जिस प्रसिद्धि एवं नाम के लिए दुनिया सिर पटकती है, दर-दर की ठोकरे खाती है, थोड़ा सा दान देकर तख्तियां लटकवाने के लिए तलबगार रहती है, लेकिन टाट वाले बाबा जी ने कभी भी बखान नहीं किया। बाबा ने कभी भी अपना नाम, जाति, ग्राम, कुल आदि क कभी बखान नहीं किया। बाबा का कहना था कि शरीर, मिथ्या, उसका नाम मिथ्या, जाति मिथ्या है तो उस में प्रीति क्यों करें 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय युवा साधु समाज के अध्यक्ष एवं भागवताचार्य स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि उनका तो ब्रहमकुण्ड ही बिरलाघाट है, प्रत्येक स्नान पर्व पर अपने साधकों के साथ बिरला घाट पर टाट वाले बाबा जी के समाधि स्थल पर स्नान करके उनके दर्शनों का लाभ प्राप्त होता है। 

कृष्णमयी माता ने बाबा जी को नतमस्तक होते हुए कहा कि टाट वाले बाबा इस युग के विलक्षण संत थे। वेदान्त के अर्थ को स्पष्ट किया। वेदोें के पश्चात जब से संसार है तब से वेद है। सृष्टि अनादि है तो वे भी अनादि हैं। गुरु ने जैसा मंत्र दिया वैसा ही जप करना होगा। दूध का सार मक्खन होता है, ठीक उसी प्रकार वेदों का सार वेदान्त है। सभी को मक्खन निकालना नहीं आता है, उसी प्रकार वेदों का मक्खन निकालने की कला महापुरूष को ही होती है। 

भक्त हरिहरानंद महाराज ने गुरु वंदना करते हुए कहा कि टाट वाले बाबा जी कहते थे कि अपने जीते जी अपनी मृत्यु का उत्सव मनाना शुरु कर दो, यह अत्यन्त ही यथार्थ सत्य है। जन्म के साथ मृत्यु परम सत्य है। 

स्वामी अखण्डानंद  तथा दिनेश शास्त्री ने टाट वाले बाबा को श्रद्धासुमन अर्पित किये। वेदान्त सम्मेलन में आये भावना गौर, स्वामी सीताराम, महर्षि परशुराम, शीला द्विवेदी, वंश द्विवेदी, महत्ता, नीरजा महत्ता, दर्शन, महेश देवी, शारदा खिल्लन, रैना नैय्यर, राजरानी, रेणु अरोड़ा आदि ने भजन प्रस्तुत किये। अमृता माता, भावना, मधु, अध्यक्षा रचना मिश्रा आदि ने श्रद्धासुमन अर्पित कर भजन प्रस्तुत किये। वेदान्त सम्मेलन का सफल संयोजन कर रहे डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने गुरु वंदन करते हुए अपने संस्मरण प्रस्तुत किये। 

इस अवसर पर मुख्य रुप से रचना मिश्रा अध्यक्षा, गुरु चरणा अनुरागी समिति, मनोज गर्ग पूर्व  प्रथम मेयर, संजय बत्रा, विजय शर्मा, सुरेन्द्र बोहरा, दीपक भारती एड़, लव गौड़, मधु गौड़, रमा वोहरा, उदित गोयल, भावना गौड़, आनन्द सागर, शारदा खिल्लन, ईश्वर तनेजा, नवीन अग्रवाल, डाॅ. अशोक पालीवाल, पल्लवी सूद, सुश्री रीना नैय्यर आदि श्रद्धालुगण एवं भक्तजन उपस्थित थे।

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