संत जनों ने किया टाट वाले बाबा को स्मरण


32 वाँ वार्षिक वेदान्त सम्मेलन : 

 गुरु की कृपा से अवश्य मिलती है सफलता: स्वामी अखण्डानंद 

हरिद्वार   29 नवंबर 30 नवंबर(


वीरेंद्र शर्मा संवाददाता गोविंद हरिद्वार )परमपूजनीय प्रातः स्मरणीय वेदान्त वेता श्रीश्रीश्री टाट वाले बाबा जी के 32 वें वार्षिक वेदान्त सम्मेलन में आज श्रद्धेय स्वामी रविदेव महाराज जी, परमाध्यक्ष, गरीब दासीय आश्रम ने   श्रीश्रीश्री टाट वाले बाबा जी को नमन करते हुए कहा कि मनुष्य निष्काम भक्ति करे। इस शरीर में आशक्ति ही सबसे बड़ा बंधन है। कामनायुक्त भक्ति  नहीं करनी चाहिए, यह क्रमिक मुक्ति का साधन है। यदि आत्मा को परमात्मा से मिलन कराना है तो गुरु मंत्र का पाठ एवं निष्काम भक्ति व सत्संग करें।

स्वामी दिनेश दास शास्त्री जी, परमाध्यक्ष राम निवास गरीबदासीय परम्परा ने गुरु भक्ति पर एक भजन प्रस्तुत करते हुए कहा कि जो भी होगा तो तुम्ही से कहूँगा, जहाँ ले चलोगो वहीं मैं चलूगाँ। शिष्य, गुरु के चरणों में आने पर सब सांसारिक कार्यों को छोड़ कर उनकी भक्ति में लीन हो जाता है। 

स्वामी  सर्वात्मानंद  ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह जगत तो स्वपन मात्र है। तीनों काल में तो जगत बना ही नहीं है। 

श्रद्धेय स्वामी अखण्डानंद जी महाराज, परमाध्यक्ष टाटेश्वर महादेव ने बताया कि चेतना क्या है, यह शब्दों का विषय नहीं है अपितु यह कल्पना का विषय है। स्वपन देखते हैं, रोशनी में कभी जागते हुए उस रोशनी को कलिपत करके देखें, यह अपने ढंग की अलग रोशनी है। आत्मा रस तक पहुंचना हमारा उद्देश्य है, तैयारी यदि पूरी नहीं है तो सफलता नहीं प्राप्त होगी। मन की पवित्रता एवं एकाग्रता बहुत आवश्यक है। गुरु की देखरेख में यदि हम चलते हैं तो सफलता अवश्य मिलती हैै। निग्रह शक्ति-माया शक्ति-संसार की सच्चाई को ढक देना। सुष्पति परमात्मा में विलय, प्राकृतिक आंतरिक लय-ज्ञान संस्कार, मन बुद्धि व इन्द्रियों में जीव को जीवन को ज्ञान नहीं होता। परमात्मा ही गुरू है, काशी में गुरु नाम की परम्परा है। गुरु किसी भी विद्या का ज्ञाता है। 

स्वामी मोहन चैतन्य जी महाराज, परमाध्यक्ष, साधना सदन ने गुरु महिमा का वर्णन करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि उनके गुरु श्रद्धेय स्वामी गणेशानन्द जी ने 12 वर्ष पश्चात् जब अपना मौन खोला तो श्रीश्रीश्री टाट वाले बाबा जी के समक्ष खोला। विग्रह शक्ति, माया शक्ति को ढकने का कार्य करती है। भगवान की अनुग्रह शक्ति, कृपा शक्ति के अन्दर रहकर उसका आश्रय लेकर ही भगवान ने जो बनाया उस पर हमारे लिए अनुग्रह करती है। चारों शक्ति अनुग्रह शक्ति के अन्दर ही कार्य करती हैं। उन्होंने सभी भक्तों का आह्वान किया कि वेद सम्मत यदि आप चलते हैं, तभी आपका कल्याण हो सकता है। महापुरुष की शरण में जाना पड़ेगा, तभी भाव के अनुसार ज्ञान की प्राप्ति होगी। 

वेदान्त सम्मेलन का सफल संयोजन डाॅ. सुनील कुमार बत्रा द्वारा सफलतापूर्वक किया गया। इस अवसर पर मुख्य रुप से रचना मिश्रा अध्यक्षा, गुरु चरणा अनुरागी समिति, संजय बत्रा, विजय शर्मा, सुरेन्द्र बोहरा, दीपक भारती एड़, लव गौड़, मधु गौड़, प्रेम केशवानी, उदित गोयल, भावना गौड़, आनन्द सागर,  आरती गर्ग, शारदा खिल्लन, ईश्वर तनेजा,  अमृता माता, नवीन अग्रवाल, डाॅ. अशोक पालीवाल, पल्लवी सूद, सुश्री रैना नैय्यर आदि श्रद्धालुगण एवं भक्तजन गुलरवाला से आये हुए उपस्थित रहे।

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