शायरों की महफिल

 ग़ज़ल 


नाज उसके रहे उठाने में।।

उम्र गुजरी उसे मनाने में।।


चांद चहरे खुदा बनाता है।

ये नहीं ढ़लते कारखाने में।।


दम निकलते हुए कभी देखा।

जान जाती है जान जाने में।।


हमसे पूछो नशा मुहब्बत का।

उम्र गुजरी शराबखाने में।।


वो लगा है हमें गिराने में।

गिर गए थे जिसे उठाने में।।


आप आओ तो चैन से सोएं।

दो घड़ी है ये जान जाने में।।


माह भर की गई कमाई है।

जन्मदिन की खुशी मनाने में।।


रोटियां उसको भी नसीब हुई।

नाम लिक्खा था दाने-दाने में।।


मुंह फुलाए हुए वो बैठे हैं।

देर क्या हो गई है आने में।।


दर्द गढ़वाली, देहरादून 

09455485094


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