ग़ज़ल
वक्त अपना है वापसी की तरफ।
है नजर भी लगी घड़ी की तरफ।।
जोर उसका है आरसी की तरफ।
ध्यान अपना है शायरी की तरफ।।
आओ मिलकर खुशी मनाएं चलो।
फिर से चलते हैं जिंदगी की तरफ।।
मार डालेगी ये अदा उसकी।
कौन जाएगा सादगी की तरफ।।
आंख में आंसू आने लगते हैं।
देखता हूं मैं जब खुशी की तरफ।।
हैं बचाते सभी हवेली को।
ध्यान किसका है झोपड़ी की तरफ।।
ये सियासत बड़ी फरेबी है।
आदमी कब है आदमी की तरफ।।
इक इशारा ही था किया मैंने।
आंख सबकी गई उसी की तरफ।।
अब खुदा ही बचा सकेगा हमें।
नेकियां हैं सभी बदी की तरफ।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094
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