जनरल बिपिन रावत की हवाई दुर्घटना में मृत्यु पीछे छोड़ गई कई सवाल

 !!कुन्नूर हेलीकॉप्टर क्रैश रक्षा 

                    मंत्रालय के लिए बना सबक!!


भारत एक विशाल देश होने के कारण तरह-तरह की सीमाओं से घिरा है। कहीं बर्फ की चादर है,तो कहीं ठोस पहाड़ियां,तो कहीं घने जंगल,तो कहीं विशाल सागर। ऐसे में सैन्य अधिकारियों को तमाम मोर्चों पर जाना पड़ता है।भारत की एकाधिक सीमाओं की   सुरक्षा का जिम्मा भारतीय सैनिकों पर है।...


सीडीएस जनरल बिपिन रावत,उनकी पत्नी और सैन्य अधिकारियों की मौत कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में बेहद दुखद है। पर्याप्त सावधानी और तैयारी के बावजूद हुआ यह हादसा संदेह पैदा करता है। रक्षा मंत्रालय द्वारा भले ही इस हादसे की जांच बहुत स्पष्ट रूप से देश के सामने न आएं,लेकिन सेना को इतना तो सुनिश्चित करना ही होगा कि ऐसे हादसे की स्थिति फिर न आए। अफसोस,उतरने से कुछ ही देर पहले बीच जंगल में यह हादसा हुआ है, जिसमें पांच से अधिक सैन्य अधिकारियों की जान चली गई है। यह एक ऐसा हादसा है, जिसकी चर्चा आने वाले कई दशकों तक होती रहेगी। ऐसे हादसे न केवल इतिहास को नया मोड़ देते हैं,बल्कि जरूरी सुधार के लिए विवश भी करते हैं। यह देखने वाली बात है कि क्या एमआई-17 देश का सबसे सुरक्षित हेलीकॉप्टर है? क्या यह सच है कि इस ब्रांड के हेलीकॉप्टर छह से अधिक बार परेशानी का कारण बन चुके हैं या दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं? क्या यह सही है कि चालीस से ज्यादा लोगों की मौत इससे जुड़े हादसों में पहले हो चुकी है? अब विश्वसनीय माने जाने वाले ऐसे हेलीकॉप्टरों की गुणवत्ता को नए सिरे से जांच महसूस हो रही है। क्या यह हवाई वाहन सेवा के लिए सुरक्षित है? 

भारत की गणना पिछले कुछ वर्षों से दुनिया में सक्षम अर्थव्यवस्थाओं में होने लगी है, हम सैन्य क्षेत्रों में भी कतई अभावग्रस्त नहीं हैं। अत: देश में विशेष रूप से विशिष्ट लोगों की सुरक्षा और संसाधनों से कोई समझौता नहीं करना चाहिए। हवाई उड़ानों या कहीं पहुंचने की जल्दी से ज्यादा जरूरी है सवारियों की सुरक्षा। हवाई यात्राओं को दुनिया में सबसे सुरक्षित यात्राओं में गिना जाता है, क्योंकि इन यात्राओं की सुरक्षा को सोलह आना सुनिश्चित करने का प्रावधान तय भी है! क्या इस हादसे में सुरक्षा संबंधी किसी प्रावधान से कोई समझौता तो नहीं किया गया था? मामला सेना का है,तो उसे अपने ही स्तर पर अपनी जिम्मेदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। सेना की कमियों पर गोपनीयता की यथोचित चादर स्वाभाविक है,लेकिन सेना अपनी सुरक्षा ऐसी रखे कि किसी के लिए उंगली उठाने की गुंजाइश न रहे। समय के साथ एकाधिक पुराने या खटारा होते विमानों को विदा किया गया है और नए विमानों को बेड़े में शामिल किया गया है। अब जरूरी है कि उन विमानों या हेलीकॉप्टरों को भी परखा जाए, जिनका उपयोग सेना अपने आवागमन के लिए करती है। भारत विशाल देश है और तरह-तरह की सीमाओं से घिरा है। कहीं बर्फ की चादर है,तो कहीं ठोस पहाड़ियां,तो कहीं घने जंगल,तो कहीं विशाल सागर। ऐसे तमाम मोर्चों पर सैन्य अधिकारियों को जाना पड़ता है और उनकी यात्राओं में पहले की तुलना में ज्यादा इजाफा हुआ है। सेना की सक्रियता इसलिए भी बढ़ी हुई है,क्योंकि भारत एकाधिक सीमाओं पर सीधे तनाव के रूबरू है।

अब समय आ गया है, जब कोताही की रत्ती भर गुंजाइश न छोड़ी जाए। देश के एक-एक भारतीय का जीवन बहुमूल्य है और उसमें भी एक-एक जवान का जीवन तो अनमोल है ही। सरकार को पूरी तैयारी के साथ सामने आना चाहिए और देश को आश्वस्त करना चाहिए कि ऐसे हादसे फिर नहीं होंगे। जिन अधिकारियों की मौत हुई है, उन्हें हम तभी सच्ची श्रद्धांजलि दे पाएंगे,जब हम इस हादसे से जरूरी सबक लेंगे और अपने आपको को पहले की तुलना में ज्यादा मजबूत करेंगे 

(कमल किशोर डुकलान रुड़की)


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