वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है सूर्य नमस्कार


 !!सूर्य नमस्कार"मां प्रकृति" को धन्यवाद देने का कराता है स्मरण!!

(कमल किशोर डुकलान )

सूर्य नमस्कार वैज्ञानिक रूप से प्रतिरक्षा विकसित करने तथा हमें स्वास्थ्य,धन और खुशी प्रदान करने के लिए 'मां प्रकृति' को धन्यवाद देने का स्मरण कराता है।.....


भारतीय आजादी के 75वें अमृत महोत्सव ख में सूर्य नमस्कार को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से एक फरवरी से सात फरवरी के बीच वैश्विक स्तर पर 75 करोड़ का रिकार्ड बनाने का लक्ष्य रखा है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सूर्य नमस्कार के सामूहिक प्रदर्शन के पीछे का उद्देश्य इसके के माध्यम से जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का संदेश भी देना है। आज की दुनिया में जहां जलवायु जागरूकता जरूरी है,वहीं दैनिक जीवन में हरित ऊर्जा के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी हो रही है,जिससे पृथ्वी को इससे खतरा बढ़ रहा है।इसके अलावा यह आयोजन हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के महत्व को रेखांकित भी करता है। सूर्य नमस्कार तन,मन और वाणी से की गई सच्ची सूर्योपासना है। यह विभिन्न आसन,मुद्रा और प्राणायाम का एक समन्वय है। सूर्य नमस्कार 12 चरणों में किये गये आठ आसनों का एक समूह है। इसे ज्यादातर सुबह सवेरे किया जाता है। इसमें सूर्य किरणों से शरीर में बनने वाले विटामिन डी की प्राप्ति होती है जो अन्य किसी तरह से प्राप्त नहीं होता है।

 सूर्य नमस्कार सूर्य की प्रत्येक किरण के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिये प्रणाम के रूप में 12 चरणों में किये गये आठ आसनों के रुप में लगाया जाता है। हम जानते हैं कि सूर्य सभी जीवित प्राणियों का पोषण कर्ता भी है। सूर्य ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत के रूप में न केवल खाद्य-श्रृंखला की निरंतरता के लिए महत्वपूर्ण है,बल्कि यह मनुष्य के मन और शरीर को भी सक्रिय करता है।वैज्ञानिक रूप से सूर्य नमस्कार को प्रतिरक्षा विकसित करने और जीवन शक्ति में सुधार करने के लिए जाना जाता है,जो कोरोना महामारी की स्थिति में हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। सूर्य के संपर्क में आने से मानव शरीर को विटामिन-डी मिलता है, जिसे दुनिया भर की सभी चिकित्सा शाखाओं में व्यापक रूप से मान्यता मिली है। सूर्य नमस्कार हमें स्वास्थ्य,धन और खुशी प्रदान करने के लिए 'मां प्रकृति' को धन्यवाद देने का स्मरण कराता है।

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