विश्व रक्तदाता दिवस पर इंडियन रेड क्रोस ने आयोजित की संगोष्ठी


 हरिद्वार 14 जून(. वीरेंद्र शर्मा संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार) विश्व रक्त दाता दिवस के उपलक्ष्य पर इंडियन रेडक्रास के तत्वाधान में ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय के निर्देशन एवं रेडक्रास सचिव डा0 नरेश चौधरी के संयोजन में संगोष्ठी का आयोजन किया गया । संगोष्ठी में वर्ष 2022 की थीम श्रक्तदान एकजुटता का कार्य है, प्रयास में शामिल हो और जीवन बचाऐं।श् विषय पर व्याख्यान देकर संगोष्ठी में उपस्थित प्रतिभागियों को जागरूक किया गया कि सभी को उक्त विषय के मकसद का ध्यान समाज में आकर्षित कराना है जिससे जनमानस वालेन्ट्री ब्लड़ डोनेशन कर जीवन बचाने और विभिन्न समुदायों के भीतर एकजुटता पैदा करने का प्रयास करें। संगोष्ठी में इंडियन रेड क्रास सचिव डा0 नरेश चौधरी ने विश्व रक्तदाता दिवस मनाने के उपदेश पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सुरिक्षत ब्लड़ व ब्लड़ प्राडेक्टस की आवश्यकता के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना ही विश्व रक्तदाता मनाने का मुख्य उद्देश्य है। डा0 चौधरी ने कहा कि शरीर में सुचारू रूप से कार्य करने के लिए पर्याप्त मात्रा में रक्त की जरूरत होती है, अगर शरीर में रक्त की कमी हो जाए तो व्यक्ति का जीवन खतरे में पड़ सकता है। इसलिए लोगों से रक्तदान की अपील की जाती है। रक्तदान से किसी जरूरतमंद को रक्त की पूर्ति की जाती है। एवं एक स्वस्थ व्यक्ति के द्वारा रक्तदान करना लाभप्रद भी होता है। जनसमाज में रक्तदान के लिए बढ़ावा देने तथा रक्तदाता का आभार व्यक्त करने के लिए प्रत्येक वर्ष 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है। डा0 नरेशर चौधरी ने कहा कि रक्तदान एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है, जो दूसरो के जीवन को बचाने में मदद कर सकती है। रक्तदान को इसलिए महादान का नाम दिया गया है कि आप जो रक्तदान करते है उससे कई लोगों की जिन्दगी बच जाती है,हर वर्ष लाखों लोगों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है कुछ को सर्जरी के दौरान ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता पड़ जाती है तथा दुर्घटना होने आकस्मिक रक्त की जरूरत पड़ती है। अतः हमें हर समय रक्तदान करने के लिए तैयार रहना है संगोष्ठी में डा0 उर्मिला पाण्डेय ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व रक्तदाता दिवस काल लेंडस्टीनर की जयंती पर मनाया जाता है जिन्होंनंे ब्लड़ ग्रुप सिस्टम की खोज करके स्वास्थ्य विज्ञान में अपना अपार योगदान दिया जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रथम बार 2004 में विश्व रक्तदाता दिवस मनाया ताकि सभी देेश के लोग जीवन बचाने के लिए लोगों को दक्तदान के लिए प्रोत्साहित व प्रेरित करते रहें। संगोष्ठी में श्रीमती पूनम ने अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि विश्व रक्तदाता दिवस विश्व स्वास्थ्य संगठन की बहुत अच्छी पहल है, जिसके माध्यम से रक्तदाता संगठनों को राष्ट्रीय एवं स्थानिय अभियानों को मजबूत करके स्वैच्छिक रक्तदाता कार्यक्रमों को और अधिक विस्तृत करने में सहायता मिलती है। संगोष्ठी में मुख्य रूप से डा0 वर्षा कुड़ियाल, डा0 आकांक्षा कैन्तूरा, डा0 भावना, डा0 वैशाली, डा0 आराधना, डा0 अंजलि, डा0 हेमलता, डा0 आकांक्षा पंवार, डा0 चारूल, डा0 रेनु, डा0 दिपिका आदि ने सक्रिय सहभागिता की।

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