ऊँ सोमेश्वराय नमः
सोमनाथ मंदिर का अपना महत्व है शिवपुराण के अनुसार चंद्र देव ने यहां राजा दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या की थी और उन्हें यहीं ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान रहने की प्रार्थना की थी। बता दें कि सोम, चंद्रमा का ही एक नाम है और शिव को चंद्रमा ने अपना नाथ स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी। इसी के चलते ही इस ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ कहा जाता है।
विधर्मीयो ने सोमनाथ मंदिर पर 17 बार आक्रमण किये ।सोमनाथ मंदिर का इतिहास बताता है कि समय-समय पर मंदिर पर कई आक्रमण हुए और तोड़-फोड़ की गई। मंदिर पर कुल 17 बार आक्रमण हुए और हर बार मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। लेकिन मंदिर पर किसी भी कालखंड का कोई प्रभाव देखने को नहीं मिलता। मान्यता है कि सृष्टि की रचना के समय भी यह शिवलिंग मौजूद था ऋग्वेद में भी इसके महत्व का बखान किया गया है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक भगवान सोमनाथ का यह सिद्ध स्थान है ।जहां पर पूजा अर्चना करने से भगवान सोमेश्वर की कृपा सहज ही प्राप्त हो जाती जब किसी का चंद्र कुंडली में कमजोर चल रहा हो यब भगवान के ॐ सोमेश्वराय नमः मंत्र के जाप से चंद्रमा को बल मिलता है और चंद्र प्रधान राशि वालों को रोग ,शोक, दारिद्र्य से मुक्ति मिलती है ॐ सोमेश्वराय नमः
No comments:
Post a Comment