यशवंत सिन्हा को क्या सोच कर विपक्ष ने बनाया राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी


 1989. वी पी सिंह पी एम पद की शपथ ले चुके थे। मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा कर रहे थे। तभी किसी ने उन्हें बताया कि एक प्रस्तावित राज्य मंत्री ने शपथ लेने से इन्कार कर दिया है। क्योंकि उनका मानना है कि वे बहुत सीनियर हैं उन्हें कैबिनेट रैंक मिलना चाहिए।वी पी सिंह ने उन्हें बुलाया।

जो सज्जन आए उनसे पूछा कि आप कब से राजनीति में हैं?

आगंतुक ने बताया कि एक साल पहले ही राज्यसभा सदस्य बने हैं ।

तो आप सीनियर कैसे हैं?

मैं 24 साल आई ए एस अफसर रहा हूं।

वी पी सिंह ने कहा कि आप भूल गए हैं कि आपको सेक्रेटरी नहीं मंत्री बनाया गया है और आपके अधीन ऐसे कई आई ए एस काम करेंगे

आप जा सकते हैं।

वह सज्जन थे विपक्ष के साझा राष्ट्रपति उम्मीदवार श्री यशवंत सिन्हा। 

वी पी सिंह की सरकार चली गई। जनता पार्टी के 52 सांसद चंद्रशेखर जी के साथ हो गये। कांग्रेस ने सपोर्ट कर दिया। चंद्रशेखर जी पी एम बन गये। यशवंत सिन्हा ने तुरंत चंद्रशेखर जी के धड़े वाले जनता पार्टी को समर्थन दिया और बन गये वित्त मंत्री।

उनकी उपलब्धि रही कि उन्होंने देश का 47 टन सोना बेच दिया।

चंद्रशेखर जी की सरकार भी चली गई।तो यशवंत सिन्हा ने भाजपा ज्वाइन कर लिया और रांची से विधानसभा चुनाव लड़ा,जीते और विपक्षी दल के नेता बन गए।

मगर सिर मुड़ाते ही ओले पड़े। अडवाणी सहित इनका नाम भी हवाला कांड में आ गया

इन्हें विपक्ष के नेता पद से हटाया गया और कहा गया कि जबतक आपको क्लीन चिट नहीं मिलता आप कोई पद धारण नहीं करेंगे

अटल जी की सरकार में महोदय वित्त मंत्री बने। तभी यूटीआई घोटाला हो गया । पब्लिक का 20000 करोड़ रुपया डूब गया। इतना हंगामा हुआ कि इन्हें वित्त मंत्री पद छोड़ना पड़ा।

2004  अटल जी की सरकार का अंतिम वर्ष था।

तबसे यशवंत सिन्हा बेचैन आत्मा की भूमिका में हैं।

2018 में इन्होंने पटना में घोषणा की कि मैं अब सक्रिय राजनीति से सन्यास लेता हूं। लेकिन दो साल भी नहीं बीते कि तृणमूल कांग्रेस में उपाध्यक्ष बन गए।

सोचिए जो आदमी राज्य मंत्री बनना अपनी बेइज्जती समझ रहा था वह वित्त मंत्री, विदेश मंत्री, विपक्षी दल का नेता बनने के बाद बीस साल जूनियर ममता बनर्जी के अधीन काम करने को तैयार हो गए?? 

यशवंत सिन्हा जी को तीन सवालों का जबाव देना चाहिए

1. क्या ये सच नहीं है कि 2013 में मोदी को पी एम कैंडिडेट बनाने का प्रस्ताव उन्होंने ही दिया था?

2.अपने बेटे को सांसद और मंत्री बनाने तक चुप रहे फिर जैसे ही मोदी ने इन्हें कोई पद देने से इन्कार किया बस गालियां देने लगे 

3 विपक्ष ने गुजरात दंगे में मोदी पर जब आरोप लगाए तब ये मोदी का बचाव क्यों करते थे?

आज यह कह रहे हैं कि राष्ट्रपति बनते ही सी ए ए लागू नहीं करूंगा? सी ए ए तो संसद से पारित कानून है जिसे राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल चुकी है। फिर किस संविधान के तहत वह इसे नहीं लागू करेंगे? 

मेरे जैसे साधारण आदमी को भी पता है कि संसद से पारित किसी भी कानून को राष्ट्रपति सिर्फ एक बार पुनर्विचार के लिए वापस कर सकता है। दुबारा भेजे जाने पर स्वीकृत करना बाध्यकारी है।

द्रौपदी मुर्मू आदिवासी महिला हैं एन डी ए ने इसीलिए कैंडिडेट बनाया है मगर विपक्ष ने क्यों यशवंत सिन्हा को कैंडिडेट बनाया है ये बताए!!!

क्या सिर्फ इसलिए कि मोदी को गालियां देने में महारत हासिल है?

अगर आई ए एस अफसर होना इनकी काबिलियत है तो आई ए एस अफसर तो पूजा सिंघल भी हैं?

( पं बंगाल से वरिष्ठ भाजपा नेता आलोक कुंडू जी की कलम से) 

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