देसंविवि में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन
मनुष्य की असल समस्या है उसका मन :
डॉ. चिन्मय पंड्या
कार्यशाला में देश के १९ राज्यों के सौ शोधार्थियों ने लिया भाग
हरिद्वार ११ जुलाई। ( अमरेश दुबे संवाददाता गोविंद कृपा ऋषिकेश क्षेत्र )
देव संस्कृति विश्वविद्यालय में मानसिक स्वास्थ्य में आध्यात्मिकता, आयुर्वेद और वैकल्पिक उपचारों की भूमिका विषय पर तीन दिवसीय अंर्तराष्ट्रीय कार्यशाला का आज समापन हो गया। बहुआयामी कार्यशाला जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय विज्ञान, चिकित्सा और आध्यात्मिक विधाओं को समझ उनसे प्रासंगिक मानव जीवन की समस्याओं को सुलझाना रहा। विवि के वैज्ञानिक आध्यात्मवाद विभाग द्वारा इस कार्यक्रम का अयोजन कराया गया।
अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के अंतिम दिन देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति श्री शरद पारधी ने प्रतिभागियों को संबोधित किया। मानसिक रोगों से बचने के विभिन्न उपायों को व्यावहारिक एवं सैद्धांतिक उदाहरणों के साथ समझाया। इस अवसर पर उन्होंने पं० श्रीराम शर्मा आचार्यश्री द्वारा लिखित वैज्ञानिक अध्यात्मवाद से संबंधित विभिन्न पुस्तकों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया।
इससे पूर्व देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि मनुष्य की असल समस्या है उसका मन, जिसमें असंतोष, ईर्ष्या और क्रोध जैसी दुर्भावनाएं हैं। उन्होंने इन समस्याओं का समाधान भी मनुष्य के मन को ही बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में अंतःकरण की समझ है। यहां की विभिन्न प्राचीन वैज्ञानिक विधाएं हैं जो आध्यात्मिकता की मदद से मनुष्य में सकारात्मक भावनाएं जाग्रत करती हैं, साथ ही व्यक्ति को शारीरिक तथा मानसिक स्तर पर स्वस्थ बनाती हैं। इस अवसर पर प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या एवं अतिथियों ने मानसिक स्वास्थ्य में आध्यात्मिकता, आयुर्वेद और वैकल्पिक उपचारों की भूमिका विषय पर अंतर्विषयक अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका और ई-प्रोसीडिंग्स का भी विमोचन किया गया। तीन दिन चले इस कार्यशाला में भारत के १९ अलग-अलग राज्यों से आए करीब १०० शोधार्थियों ने भाग लिया और अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
कार्यशाला में अलग अलग सत्रों की अध्यक्षता देसंविवि के डॉ. पीयूष त्रिवेदी, डॉ. अमृत गुरवेंद्र, डॉ. सुरेश बर्णवाल, डॉ. आरती ने की। इस दौरान में डॉ उर्मिला श्रीवास्तव, डॉ बिजॉय राज, डॉ विवेक महेश्वरी, डॉ चिराग अंधारिया, डॉ प्रेरणा पुरी, डॉ महेश भट्ट एवं डॉ राम प्रकाश शर्मा सहित देसंविवि के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
तीन दिवसीय गुुरुपूर्णिमा पर्व शोभायात्रा के साथ प्रारंभ
गुरु बिन ज्ञान नहीं, नहीं रे के भाव में डूबा शिष्य
हरिद्वार ११ जुलाई।
शांतिकुंज में तीन दिवसीय गुरुपूर्णिमा पर्व का मंगल शोभायात्रा के साथ आज शुभारंभ हो गया। इस अवसर पर गुरुधाम पहुंचे देश विदेश के साधकों ने सद्गुरु द्वारा सौंपे गये कार्यों को पूरा करने के संकल्प के साथ शोभायात्रा में भाग लिया। शोभायात्रा को शांतिकुंज वरिष्ठ कार्यकर्त्ता पं. शिवप्रसाद मिश्र ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली में शांतिकुंंज के स्वयंसेवियों सहित देश-विदेश से आये गायत्री साधकों ने भाग लिया।
शोभायात्रा शांतिकुंज के गेट नं. तीन से निकली और हरिपुर कलां में गुरु की महानता का अलख जगाते हुए देवसंस्कृति विश्वविद्यालय परिसर पहुंची। जहाँ प्रज्ञेश्वर महादेव की परिक्रमा के बाद वापस शांतिकुंज लौट आयी। शांतिकुंज पहुँचने पर शोभायात्रा का ब्रह्मवादिनी बहिनों ने आरती कर भव्य स्वागत किया। ऋषियुग्म की पावन समाधि के पास पहुंचकर शोभायात्रा का समापन हुआ। इस अवसर पर उपस्थित देश विदेश से आये हजारों शिष्यों ने अपने आराध्य-सद्गुरु पूज्य पं. श्रीराम शर्मा आचार्यश्री के संकल्पनाओं को पूरा करने की शपथ ली।
सायंकालीन आयोजित भजन संध्या में जहाँ गुरुओं की महानता को याद किया गया, वहीं शिष्य के समर्पण भाव को भी रेखांकित किया गया। गुरुवर सदा साथ हैं, गुरुवर तेरी कृपा ने, गुरुवर कृपा कर दो-तुमको भूला न पाऊँ, गुरु बिन ज्ञान नहीं-नहीं रे आदि भजनों-गीतों से देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, गायत्री विद्यापीठ व शांतिकुंज के युगगायकों ने भक्तिभाव में डूबा दिया। इस अवसर पर डॉ. शिव नारायण, हरिप्रसाद, श्याम यादव, कु. स्तुति पण्ड्या आदि ने अपनी गायनकला से उपस्थित जनसमुदाय को भावविभोर कर दिया।
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