दीपशिखा काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

 दीपशिखा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच , हरिद्वार की 'दीपशिखा काव्य गोष्ठी' का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि तुषारकांत पांडे के निवास स्थान विष्णु गार्डन ,कनखल में किया गया । गोष्ठी की अध्यक्षता कवयित्री डॉ. मीरा भारद्वाज एवं संचालन कवि डॉ सुशील कुमार त्यागी 'अमित' ने किया। सर्वप्रथम दीप- प्रज्वलन के पश्चात सरस्वती वंदना का गान कवि प्रेमशंकर शर्मा 'प्रेमी' ने गाया। सावन,


हरिद्वार में कांवड़ त्यौहार,बादल, पावस,  देशभक्ति, इशभक्ति पर्यावरण आदि अनेक विषयों पर नगर के कवियों ने काव्य की धारा प्रवाहित की ।


हरिद्वार नगर के प्रसिद्ध कवि अरुण कुमार पाठक ने कहा -"भोले का आशीष मिलेगा, चढ़ेगी उन पर जब जलधार ।धरा तुम्हारी सुंदर होगी ,वृक्षों से जब करो सिंगार ।।कवि तुषारकांत पांडेय ने कुछ यूं फरमाया-" जय- पराजय से परे मैं आयु के उस काल में हूं। भेद सारा छट गया है, अस्थियों के जाल में हूं । कवियत्री डॉ. मीरा भारद्वाज ने 'सिंधारा' पर कुछ अपने  विचार प्रकट किए-" रिमझिम देख सिंधारो की, मत कहना कौन हमारा है। तुमको याद मेरी आ जाए, समझो यही सिंधारा है।

 कवि साधुराम 'पल्लव'ने कहा- वरुणदेव ने आज पूजा में जैसे, सजल मेघ माला है शिव पर चढ़ायी "।।कवि प्रेमशंकर शर्मा 'प्रेमी' ने शिव का ध्यान करते हुए कहा- " शिव का अर्चन प्यार से, जो लेते नित नाम । नाम सुमिर सदभाव से , सदा करें कल्याण।।" कार्यक्रम का संचालन करते हुए कवि सुशील कुमार त्यागी ने कहा 'हरिद्वार दर्शन 'पर अपने काव्यात्मक उद्गार इस प्रकार प्रकट किए -"उमड़ -घुमड़ती  भीड़ यहां पर, यहां अनेकों तीर्थस्थल, भक्ति -भाव से यात्री आते ,ले जाते हैं गंगाजल।" कवियत्री कंचन प्रभा गौतम 'लता' ने गाया घिर-घिर कर आए फिर कारे बदरा प्यासे मन को जो तरसाए बदरा, प्यासे मन को जो तरसाए बदरा,।।" डॉ.कल्पना कुशवाहा 'सुभाषिनी' ने कहा- चल रही है मस्त पवन ,यह हिजाब में देखो, खिल गई है सारी कलियां इस बहार में देखो।।"

कविवर डॉ.श्याम बनोधा तालिक, पंडित ज्वाला प्रसाद शांडिल्य 'दिव्य', प्रफुल्ल ध्यानी ,अभिनंदन गुप्ता 'आमिरसमय' ,महेशभट्ट  माधवेंद्र सिंह ,माधव आदि कवियों ने भी अपनी -अपनी कविताओं से सभी को आनंदित किया। वरिष्ठ कवि पंडित ज्वाला प्रसाद शांडिल्य 'दिव्य' द्वारा रचित काव्यकृति ' दोहकीय कुंडली' का विमोचन दीपशिखा मंच के पदाधिकारियों एवं कवियों द्वारा किया गया| अंत में दिवंगत कवि गांगेय कमल को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि समर्पित की गई।

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