हरिद्वार 23 अगस्त( संजय वर्मा )श्री सिद्धपीठ सिद्धाश्रम मयूर विहार, आर्य नगर, ज्वालापुर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ भगवान श्री कृष्ण का षष्ठी पर्व मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ भक्ति
गीतों व भजनों के साथ हुआ। भगवान श्री लड्डू गोपाल जी को पंचामृत से स्नानादि के पश्चात उनका हार श्रंगार बड़े ही प्रेम और भक्ति भाव के साथ किया गया श्री सिद्ध पीठ सिद्धाश्रम में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं ने बड़े ही भक्ति भाव के साथ भगवान श्री लड्डू गोपाल जी की आरती की उसके पश्चात भगवान श्री लड्डू गोपाल जी को माखन मिश्री, मिठाईयां, पंच मेवे और कढ़ी चावल का भोग लगाया गया।
आरती के पश्चात सभी श्रद्धालु भक्तों ने कड़ी चावल का भंडारा ग्रहण किया वह सभी को षष्ठी पर्व की बधाई दी।
इस मौके पर श्री सिद्ध पीठ सिद्धाश्रम के डायरेक्टर व ट्रस्टी राजेश अंगिरा ने बताया कि ब्रह्मलीन सिद्ध संत अध्यात्मिक गुरु महाप्रभु श्री योगेश्वर पुष्पनंदन जी महाराज कहते थे कि भगवान श्रीकृष्ण में बहुआयामी व्यक्तित्व दिखाई पड़ता है। वह गृहस्ती होने के साथ-साथ परम योगी और परम तपस्वी भी थे। वह परम ज्ञानी होने के साथ-साथ राजनीतिज्ञ भी दिखाई पड़ते हैं उनमें योग शक्ति बाल्यकाल से ही दिखाई पड़ती है। वह अपनी माता यशोदा को अपने मुंह के भीतर ब्रह्मांड के दर्शन करा देते हैं जहां वह बांसुरी का प्रयोग करते हैं तो दूसरी तरफ सुदर्शन चक्र भी धारण कर लेते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए वह गोवर्धन पर्वत की पूजा तक करवा देते हैं नदियों का पानी शुद्ध रहे तो गीता उपदेश में गंगा नदी से अपनी तुलना कर देते हैं और दूसरी तरफ पीपल के वृक्ष को अपना स्वरूप बताते हैं क्योंकि पीपल का पेड़ ही सबसे ज्यादा प्राणवायु उत्सर्जित करता है। सात्विक कर्म के पक्षधर थे भगवान श्री कृष्ण। उनमें परमात्मा की अनेकों विधाएं एक साथ प्रकट हुई थी। भगवान श्री कृष्ण चंद्रमा की तरह से 16 कला संपूर्ण थे। मीरा, रैदास, सूरदास, रसखान, चैतन्य इत्यादि भक्तों को उन्होंने समय-समय पर अनेकों दिव्य अलौकिक अनुभूतियों का अनुभव करवाया। भगवत गीता में जहां वह योग और शांति की बात करते हैं वही पुरुषार्थ के लिए भी प्रेरित करते हैं।
इस शुभ अवसर पर श्री सिद्धपीठ सिद्धाश्रम में संजय खन्ना, विकास भारद्वाज, दिनेश गोयल, गुरदीप सिंह, सूरज वर्मा, तेजस्वी अंगिरा, सानवी अंगिरा चांदनी बक्शी, शर्मिला नागर, मोनिका नागर, प्रीति शर्मा, पूनम शर्मा, अनीता गुप्ता, सीरत कौर, बलविंदर कौर, चंचल अरोड़ा, ममता धीमान, सरोज देवी, सावित्री देवी, सुमन देवी, उमा चौहान आदि श्रद्धालु मौजूद थे।
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