न्यूरो थेरेपीस्ट अधिवेशन में उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया मार्गदर्शन

 सभी चिकित्सा पद्धति एक दूसरे की पूरक: डॉ अवधेश पांडेय 


***अखिल भारतीय न्यूरोथैरेपिस्ट राष्ट्रीय अधिवेशन 14 राज्यों के 220 डेलीगेट्स पहूंचे 


हरिद्वार 22 अगस्त (वीरेंद्र शर्मा संवादाता गोविंद कृपा हरिद्वार)



डॉ लाजपतराय मेहरा न्यूरोथेरेपी *रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के तत्वावधान मे आयोजित अखिल भारतीय न्यूरोथैरेपिस्ट वार्षिक अधिवेशन  के दूसरे दिन सोमवार को डा अवधेश पांडेय (रिसर्चर कंप्लीमेंट्री साइंसेज) ने देश भर से पधारे न्यूरोथैरेपिस्ट चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा कि मरीजों के ईलाज लिए ही चिकित्सा पद्धति जन्म हुआ। इसलिए स्वभाव में विपरित होने के बावजूद सभी चिकित्सा पद्धति मनुष्य को स्वास्थ्य लाभ ही प्रदान करती  है। सभी बीमारियों का ईलाज एक ही पद्धति में संभव नहीं है। कई बीमारियों में त्वरित ईलाज होता है और कई में लंबे समय तक उपचार चलता है। 

ऐसे में सभी चिकित्सा पद्धति एक दूसरे से जूड़कर ही कारगार साबित हो सकती है। सभी चिकित्सा पद्धति एक दूसरे की पूरक हैं। आयुर्वेद, एलोपैथ, होम्योपैथ, न्यूरपैथ चिकित्सा पद्धति अलग हो सकती है लेकिन सबका उपयोग मरीजों स्वास्थ्य प्रदान के लिए किया जाता है। एलएमएनआरटी के अध्यक्ष अजय गांधी ने कहा कि वर्ष 2016 में स्थापित संस्था का उद्देश्य लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है।‌ वर्तमान में देशभर में 1500 से ज्यादा सेंटर चल रहे हैं। जहां मरीजों का ईलाज किया जा रहा है।‌संस्था के महासचिव रामगोपाल परिहार ने बताया कि हरिद्वार में आयोजित सम्मेलन में 14 राज्यों, जम्मू, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश,उत्तराखंड से 220 डेलीगेट्स पहूंच गये है। कोषाध्यक्ष  सुमित महाजन बताया कि उद्घाटन सत्र के दूसरे सत्र में डॉ सुनील जोशी ने मर्म चिकित्सा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नसों से संबंधित बीमारी में मर्म चिकित्सा पद्धति कारगार है। इस मौके पर संरक्षक जयदेव, कार्यकारिणी सदस्य विरेन्द्र प्रसाद, विक्रम, अजय कुशवाहा, नागलक्ष्मी व  उत्तराखंड के देव आहूजा, रूखसार, बलराम, आरती, रंजना, आंचल, ऋषिकेश, पारुल, संगीता, नसीन परवीन, देहरादून,  मोहिनी हरिद्वार अन्य शामिल रहे।

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