डॉ0 बसंती मठपाल के दो साहित्य पुस्तकों का हुआ विमोचन

 बसंती मठपाल की रचनाओं में है जीवंतता


डा. बसंती मठपाल की दो पुस्तकों का लोकार्पण


देहरादून 11 सितंबर ( जे के रस्तोगी संवाददाता गोविंद कृपा देहरादून ) डा. बसंती मठपाल के दो साहित्यिक


संग्रहों का एक साथ प्रकाशन होने से  देहरादून के काव्य प्रेमियों को आज दोहरा आनंद मिला है। उनका पद्य संग्रह 'मन के मौसम' और गद्य संग्रह 'शिखरों के शिलालेख' ज्ञान, संवेदना और अनुभव के भंडार हैं। यह उद्गार आज प्रेस क्लब में आयोजित दोनों पुस्तकों के लोकार्पण समारोह में विद्वानों ने व्यक्त किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष, सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र ने कहा कि बसंती मठपाल की रचनाओं में हिमालय की पवित्र नदियों की प्रांजलता और जीवंतता है।

मुख्य अतिथि, हिन्दी साहित्य भारती की केंद्रीय उपाध्यक्ष डॉ सविता मोहन ने दोनों पुस्तकों की भूरि- भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि इन्हें देश के शिक्षालयों और पुस्तकालयों में अवश्य होना चाहिए, जिससे लोग हिमालय की संस्कृति और विशेषताओं से परिचित हो सकें। विशिष्ट अतिथि, हिन्दी साहित्य समिति के अध्यक्ष डॉ राम विनय सिंह ने कहा कि ये दोनों पुस्तकें ज्ञानवर्धक भी हैं और आनंदवर्धक भी। 

डॉक्टर बसंती मठपाल ने दोनों पुस्तकों के एक साथ प्रकाशन पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि ये दोनों पुस्तकें मेरी बरसों की साधना के परिणाम हैं । मुझे पूरी आशा है कि हिन्दी के सहृदय पाठक  इन्हें भरपूर स्नेह- प्यार देंगे। काव्यसंग्रह 'मन के मौसम 'पर प्रकाश डालते हुए डॉक्टर क्षमा कौशिक ने कहा इस संग्रह की कविताओं में पर्वतीय जीवन का सौंदर्य और उसका वैविध्य बिंबात्मक शब्दों में अभिव्यक्त हुआ है। गीतकार डॉ शिव मोहन सिंह ने 'शिखरों के शिलालेख 'के परिचय में कहा कि यह पुस्तक उत्तराखंड की दुर्लभ जानकारियों का  बड़ा कोश है ,जिसका लाभ शोधार्थियों को मिलेगा। इस मौके पर जगदीश बावला, डौली डबराल, शादाब अली, दर्द गढ़वाली, अंबर खरबंदा, राकेश जैन, डा. राकेश बलूनी आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन श्री पवन कुमार शर्मा  और धन्यवाद ज्ञापन वैशाली में किया।

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