दीपशिखा काव्यगोष्ठी एवं उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान का आयोजन
हरिद्वार, 4 सितंबर (
विजय त्यागी ) दीपशिखा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच की काव्यगोष्ठी एवं शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन डॉ. मीरा भारद्वाज जी के निवास स्थान राजलोक विहार ज्वालापुर में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. मीरा भारद्वाज एवं सफल संचालन श्री उमेश शर्मा ने किया।
शिक्षक दिवस की पूर्वसंध्या पर आयोजित कार्यक्रम में प्रथम चरण में माँ सरस्वती एवं शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उनको याद किया गया। गोष्ठी में सरस्वती-वंदना शिविजय त्यागी ने संस्कृतभाषा के माध्यम से (असीम बोधदायिनी प्रदायिनी सुसम्पदां.....) प्रस्तुत की। साथ ही हिन्दी कवि एवं शिक्षक श्री सुशील कुमार त्यागी ‘अमित’ को उनके उत्कृष्ट शिक्षा कार्य एवं प्रकाशित शोधग्रन्थ ‘बिहारी सतसई के पद्मसिंह शर्मा कृत संजीवन भाष्य का अनुशीलन’ हेतु दीपशिखा सम्मान 2022 से प्रशस्तिपत्र एवं अंगवस्त्र(शाल) से अलङ्कृत किया गया। दूसरे चरण में दीपशिखा काव्यगोष्ठी में नगर के सुप्रसिद्ध कवि श्री अरुण कुमार पाठक (हिन्दु धर्म की समृद्धि को, राधाकृष्णन ने पहचान लिया। संस्कृति धर्म सत्य ज्ञान को, कुल दुनिया को जान लिया।।), नवोदित कवयित्री वृन्दा शर्मा ( मेरी लेखनी की गति मेरी कविता का शिल्प हो, प्रतीति की अल्पना का आप आकल्प हो...), गीतकार अभिनन्दन गुप्ता (यारो तुम को आज सुनाऊँ पगडंडी के गीत......), श्री प्रफुल्ल ध्यानी (तय की जीवन की कई मंजिलें, शिक्षा और अध्यापिका की नौकरी.....), शिक्षक एवं कवि डॉ. विजय कुमार त्यागी (नहीं बिताना व्यर्थ समय को, समय बहुत उपयोगी है। जो इसका उपयोग करे सत्, समझो वो ही योगी है।), कवयित्री डॉ. मीरा भारद्वाज (डमगम डोलती है नाव, बिना गुरु प्यारे, सद् गुरु जीवन को राह दिखलाते हैं), कवि श्री उमेश शर्मा (आओ चलो चलें, कहती है मुझसे, राहे अकसर बात करती हैं मुझसे), श्री तुषारकान्त पाण्डेय (बस्तियों के बीच कोई है निपट अज्ञान में, है लगन तो क्लास देखो लग गई वीरान में।), कवि सुशील कुमार त्यागी ‘अमित’ (शिक्षक ऐसा देव है, रंच नहीं संदेह। गौरव गरिमा प्रोत उर अद्भुत् अनुपम नेह।) तथा दीपशिखा त्यागी आदि ने अपनी-अपनी विस्तृत काव्य शैली से आदर्श शिक्षक की महिमा का गुणगान किया।
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