हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा के गांव गडोवाली में भाजपाइयों ने सुनी मन की बात
हरिद्वार 25 सितंबर( दिनेश कश्यप संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार ग्रामीण)
भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं एवं बूथ समिति द्वारा हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा के ग्राम गाडोवाली के बूथ संख्या 47 पर भाजपा के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मनाकर श्रद्धांजलि अर्पित की एवं प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात कार्यक्रम को सुना कार्यक्रम में पहुंचे पूर्व राज्यसभा सांसद तरुण विजय ने उपस्थित पदाधिकारीयो एवं कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में बोलते हुए अनेक विषयों पर हमारे सामने रखा जिसमें उन्होंने एक बेटी अन्वी जो कि डाउन सिंड्रोम बीमारी से ग्रसित है का जिक्र करते हुए जिस तरह से उसके मां बाप ने जानकारियां हासिल करते हुए उस बच्ची को संभालने एवं प्रेरणा देकर जिस तरह से उस बच्ची को आगे बढ़ाया है बच्ची ने योग के माध्यम से जिस प्रकार हम सबको योग के प्रेरित कर हम सब को यह संदेश दिया कि यदि संकल्प शक्ति हो तो कोई भी कार्य कठिन नहीं है एवं श्रवण शक्ति से दिव्यांग बच्चों के लिए सांकेतिक भाषा के प्रयोग एवं बढ़ावा देने के लिए विभिन्न लोगों के प्रयासों की सराहना करते हुए इसको और अधिक प्रोत्साहन देने का आह्वान किया जिलाअध्यक्ष डॉ जयपाल सिंह सिंह ने पंडित दीनदयाल जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन काफी कठिन परिस्थितियों में गुजरा 25 सितम्बर, 1916 को जयपुर से अजमेर मार्ग पर स्थित ग्राम धनकिया में अपने नाना पण्डित चुन्नीलाल शुक्ल के घर जन्मे दीनदयाल उपाध्याय ऐसी ही विभूति थे। श्रद्धये दीनदयाल जी के पिता श्री भगवती प्रसाद ग्राम नगला चन्द्रभान जिला मथुरा उत्तर प्रदेश के निवासी थे। तीन वर्ष की अवस्था में ही उनके पिताजी का तथा आठ वर्ष की अवस्था में माताजी का देहान्त हो गया। श्रद्धये दीनदयाल का पालन रेलवे में कार्यरत उनके मामा ने किया। ये सदा प्रथम श्रेणी में ही उत्तीर्ण होते थे। कक्षा आठ में उन्होंने अलवर बोर्ड, मैट्रिक में अजमेर बोर्ड तथा इण्टर में सर्वाधिक अंक पाये थे। 14 वर्ष की आयु में इनके छोटे भाई शिवदयाल का देहान्त हो गया। 1939 में उन्होंने सनातन धर्म कॉलेज कानपुर से प्रथम श्रेणी में बी.ए. पास किया। यहीं उनका सम्पर्क संघ के उत्तर प्रदेश के प्रचारक श्री भाऊराव देवरस से हुआ। इसके बाद वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए एम.ए. करने के लिए वे आगरा आये पर घरेलू परिस्थितियों के कारण स्नातकोत्तर की पढ़ाई को पूरा नहीं कर पाये। प्रयाग से इन्होंने एल.टी की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। संघ के तृतीय वर्ष की बौद्धिक परीक्षा में उन्हें पूरे देश में प्रथम स्थान मिला था। अपनी मामी के आग्रह पर उन्होंने प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी। उसमें भी वे प्रथम स्थान पर रहे तब तक वे नौकरी और गृहस्थी के बन्धन से मुक्त रहकर संघ को सर्वस्व समर्पण करने का मन बना चुके थे। इससे इनका पालन-पोषण करने वाले मामा जी को बहुत कष्ट हुआ। इस पर दीनदयाल जी ने उन्हें एक पत्र लिखकर क्षमा माँगी। वह पत्र ऐतिहासिक महत्त्व का है। 1942 से उनका प्रचारक जीवन गोला गोकर्णनाथ (लखीमपुर, उ.प्र.) से प्रारम्भ हुआ। 1947 में वे उत्तर प्रदेश के सहप्रान्त प्रचारक बनाये गये। 1951 में डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने नेहरू जी की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीतियों के विरोध में केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल छोड़ दिया। वे राष्ट्रीय विचारों वाले एक नये राजनीतिक दल का गठन करना चाहते थे। उन्होंने संघ के तत्कालीन सरसंघचालक श्री गुरुजी से सम्पर्क किया। गुरुजी ने श्रद्धये दीनदयाल जी को उनका सहयोग करने को कहा। इस प्रकार 'भारतीय जनसंघ' की स्थापना हुई। दीनदयाल जी प्रारम्भ में उसके संगठन मन्त्री और फिर महामन्त्री बनाये गये। 1953 के कश्मीर सत्याग्रह में डा. मुखर्जी की रहस्यपूर्ण परिस्थितियों में मृत्यु के बाद जनसंघ की पूरी जिम्मेदारी दीनदयाल जी पर आ गयी। वे एक कुशल संगठक, वक्ता, लेखक, पत्रकार और चिन्तक भी थे। लखनऊ में राष्ट्रधर्म प्रकाशन की स्थापना उन्होंने ही की थी। एकात्म मानववाद के नाम से उन्होंने नया आर्थिक एवं सामाजिक चिन्तन दिया, जो साम्यवाद और पूँजीवाद की विसंगतियों से ऊपर उठकर देश को सही दिशा दिखाने में सक्षम है। उनके नेतृत्व में जनसंघ नित नये क्षेत्रों में पैर जमाने लगा। 1967 में कालीकट अधिवेशन में वे सर्वसम्मति से अध्यक्ष बनायेे गये। चारों ओर जनसंघ और दीनदयाल जी के नाम की धूम मच गयी। इस अवसर पर जिला मंत्री आशु चौधरी,जिला कार्यालय प्रभारी लव शर्मा, प्रधान फुरकान अहमद, इरफान अंसारी, विशाल चौधरी अक्षय चौधरी डॉ विक्रम सिंह, नफीस अंसारी, उस्मान अंसारी, मुकर्रम अंसारी, इनायत अंसारी, जमशेद, राजाराम चौधरी, शेखर, दीपेंद्र, सोनू कुमार, दिलशाद, शहीद चौधरी,नरेश चौधरी, इकबाल, अली हसन ,अब्दुल रहमान ,मेहंदी हसन ,कयूम मुजम्मिल ,शराफत मास्टर, जफर गुलशेर ,यूनुस ,भूरा अंसारी, साजिद, सतपाल कुमार, परवेज, याकूब आदि उपस्थित रहे।
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