!!भ्रष्टचार से लेकर परिवारवाद
देश के विकास में बाधक!!
(कमल किशोर डुकलान रूडकी)
स्वतंत्र भारत के पिचहतर वर्ष पूर्ण होने पर जहां हमने स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में आजादी के बाद पिचहतर वर्षों की विकास यात्रा एवं आगामी पच्चीस वर्षों के लक्ष्य को निर्धारित किया वहीं आज भ्रष्टचार से लेकर परिवारवाद और भाई-भतीजावाद एक दीमक की तरह देश को खोखला करता जा रहा है।
पिछले कुछ दिनों से देवभूमि उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों जो भ्रष्टाचार और भाई- भतीजावाद बात सामने आई उसने तो राज्य के आम जनमानस का सरकार में बैठे लोगों और जनप्रतिनिधियों से एक प्रकार से विश्वास ही उठा है। जब मैं भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद,परिवारवाद की बात कर रहा हूं तो ऐसा नहीं लगना चाहिए कि मैं सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र की बात कर रहा हूं। दुर्भाग्य से राजनीति में भाई-भतीजावाद का बोलबाला है। इससे देश की प्रतिभाओं को नुकसान होता है। आज आम जनमानस को जागरूक होने की आवश्यकता है ताकि भ्रष्टाचार भाई-भतीजावाद, परिवारवाद भविष्य में बड़ा रुप ले न लें। आजादी के अमृत महोत्सव पर 76वें स्वतंत्रता के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हुए भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद,परिवारवाद पर बहुत बड़ा हमला किया था। दुर्भाग्य से देवभूमि उत्तराखंड में मोदी जी के नाम पुष्कर धामी के नेतृत्व में भाजपा की ही सरकार है और आयोग से लेकर विधानसभा तक में हुई सभी भर्तियों में भ्रष्टाचार भाई-भतीजावाद,परिवारवाद का बोलबाला है। सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार भाई-भतीजावाद और परिवारवाद के नाम पर उत्तराखंड भाजपा से लेकर केन्द्रीय नेतृत्व तक सकते में है कि राज्य में डेमेज कंट्रोल को कैसे रोका जाए।
स्वतंत्रता दिवस पर देश को सम्बोधित करते हुए देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पिछली सरकारों में जिन्होंने देश को लूटा है उन्हें लौटाना पड़े वो स्थिति हम पैदा कर रहे हैं। हम भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में कदम रख रहे हैं।
आजादी के पिचहतर वर्षों बाद भी भारत में लोग गरीबी से लड़ रहे हैं, आज हमें अपनी पूरी क्षमता से भ्रष्टाचार से निपटने की जरूरत है।
भ्रष्टाचार भाई-भतीजावाद परिवारवाद ऐसी बुराई है, जिससे हमें मिलकर निपटने की जरूरत है।
जन प्रतिनिधियों का अपने विशेषाधिकार में परिवारवाद से हमारी कहीं योग्य प्रतिभाएं प्रभावित हुईं हैं,यह हमारी प्रतिभा,राष्ट्र की क्षमताओं को नुकसान पहुंचाती हैं और एक भ्रष्टाचार को जन्म देता है। अपने विशेषाधिकार में जनप्रतिनिधियों को जब तक दंडित करने की मानसिकता नहीं होगी, राष्ट्र तेज गति से प्रगति नहीं कर सकता। आजादी के अमृत महोत्सव में हमने अगले पच्चीस वर्षों के प्रगति के ही लक्ष्य को निर्धारित किया है।
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