!!उत्तराखण्डी गीतों का राजनैतिक,
आंदोलनों से रहा है पुराना नाता!!
जब-जब भी उत्तराखण्डी लोक गायकों द्वारा राजनेताओं पर गीत गायें गये तब-तब राजनीतिक गलियारों में सियासी हलचलें तेज हुई हैं। अगर उत्तराखंड के इतिहास पर गौर करें तो उत्तराखण्डी गीतों का यहां की राजनीति व आंदोलनों से पुराना रिश्ता रहा है।......
राज्य आन्दोलन से ही उत्तराखंड के इतिहास पर गौर करें तो उत्तराखण्डी लोक गीतों का उत्तराखंड की राजनीति व जन आंदोलनों से बहुत पुराना नाता रहा है। राज्य आन्दोलन के समय भी उत्तराखंड के लोक गायकों द्वारा गाये गये गीतों ने राज्य निर्माण में एक अहम भूमिका ही नहीं निभाई अपितु इन गीतों से राज्य आन्दोलन को बल भी मिला। सन् 1994 में उतर प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार के जुल्मों पर लिखा गीत तेरा जुल्म का हिसाब लूंला एक दिन गीत से तो उत्तराखण्डी जन मानस को एक जुट ही कर दिया था।
उत्तराखण्डी राजनीति में उत्तराखंड के कद्दावर नेता पूर्व सी एम विकास पुरुष स्व.एन डी तिवारी से लेकर डाक्टर रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यकालों में लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी द्वारा बनाया गाना "नौछमी नरेणा" और "अब कतगा खैल्यू" जैसे गीत आम जन का मनोरंजन तथा सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहें। आजकल लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी द्वारा उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर नियुक्तियों में परिवारवाद भाई-भतीजावाद पर गाया गया नया गीत ‘हम त प्रजा का प्रजा ही रह ग्यां लोकतंत्र मा..’’ एक बार फिर सुर्खियों में हैं। श्री नरेन्द्र सिंह नेगी अतीत में भी अपने बेबाक गीतों से उत्तराखंड की राजनीति के प्याले में तूफान मचा चुके हैं।
एक प्रकार से इन गीतों को मनोरंजन के साथ-साथ राजनैतिक गीत भी माना जाता है। इस प्रकार के राजनीतिक गीत सत्ता विरोधी लहर सन् 2007 में कांग्रेस तथा 2012 में भाजपा को सत्ता हस्तांतरण करने में कारगर साबित हुए। उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद राज्य सरकारों द्वारा सरकारी नौकरियों के नाम पर हो रहे खेल को लोक गायक श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी का नया गीत हम त प्रजा का प्रजा ही रह ग्यां लोकतंत्र मा."परिवारवाद और भ्रष्टाचार पर कटाक्ष करता है।
दो अक्टूबर सन् 1994 में जब उत्तराखंड राज्य आन्दोलन अपने चरम था और राज्य आन्दोलनकारी दिल्ली कूच कर रहे थे उस समय की तत्कालीन उत्तर प्रदेश की मुलायम सिंह सरकार द्वारा मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर राज्य के निहत्थे आन्दोलनकारियों पर उतर प्रदेश की पुलिस द्वारा कहर ढाया गया आन्दोनकारियों पर गोलियां चलाने के साथ ही महिलाओं पर दुराचार तक किया गया। इस घटना के बाद उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध लोकगायक श्री नरेंद्र सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस द्वारा आंदोलन को बर्बरता से कुचलने वाली नीतियों के खिलाफ "तेरा जुल्मुकु का हिसाब चुकौला एक दिन" वाला उस समय जो गीत गाया था। नतीजन राज्य बनने के बाद से उतर प्रदेश से हाशिये पर जाती रही। राज्य आन्दोलन के समय लोक गायक श्री नरेंद्र सिंह नेगी और जनकवि गिरीश तिवारी "गिर्दा" ने जनगीतों ने एक प्रकार से राज्य आन्दोलनकारियों में जोश भरने का ही काम किया।
लोक गायकों द्वारा राजनीति अथवा राजनेताओं पर गाये गये गीतों की बात करें तो लोक गायक श्री नरेंद्र सिंह नेगी द्वारा उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री एन.डी.तिवाड़ी पर गाया गया चर्चित गीत "नौछमी नारेण"खासकर युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ जो उस समय कांग्रेस की सत्ता विरोधी लहर या यूं कहां जाए तो राजनीति पर बना गीत"नौछमी नारेण" विपक्ष में बैठी भाजपा को स्वच्छ और ईमानदार छवि के बल पर"खण्डूड़ी है जरुरी" सत्ता में लाने में मददगार साबित हुआ।
(कमल किशोर डुकलान रूडकी)
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