भक्त के साथ भगवान का है अटूट संबंध :- डॉ पण्ड्या
हरिद्वार 1 अक्टूबर ( संजय वर्मा ) भक्त के साथ भगवान का अटूट संबंध है। भक्त श्रद्धा भक्ति से भगवान को जो कुछ अर्पण करता है, उसे वे ग्रहण करते हैं। साधक के अंदर नवरात्र अनुष्ठान भक्ति भाव को जाग्रत करता है।
उक्त विचार देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने व्यक्त किये। वे देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में आयोजित स्वाध्याय शृंखला के अवसर पर भक्त, भक्ति और भगवान की महिमा विषय पर उपस्थित साधकों, विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि भगवान श्रद्धा भक्ति के भूखे हैं। माता शबरी इसका जीवंत उदाहरण है। माता शबरी की भक्ति ही थी कि उनके द्वार पर भगवान श्रीराम पधारे और उन्हें नवधा भक्ति का ज्ञान दिया। उन्होंने कहा कि पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन और राजोपचार पूजन में जब तक श्रद्धा भक्ति का सम्पुट न हो, तब तक वह अधूरा माना जाता है। साधक में सात्विक अनुष्ठान भक्ति भाव जगाता है। सच्ची भक्ति वही है, जहाँ अंहकार से किसी प्रकार का रिश्ता नहीं रहता है। श्रीमद्भगवतगीता के श्लोक एवं रामायण की चौपाइयों कीे व्याख्या करते हुए उपस्थित जनसमुदाय का भक्ति भाव को जाग्रत करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर कुलाधिपति ने विद्यार्थियों के विविध जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए सफल जीवन के सूत्र सुझाये।
इससे पूर्व संगीत विभाग के भाइयों ने अपनी भक्ति का अमृत पिला दो प्रभु....... गीत से उपस्थित भाई बहिनों को भक्ति भाव में डूबो दिया। इस अवसर पर कनाडा, अमेरिका आदि देशों से आये गायत्री साधक, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थी, प्रोफेसर्स एवं शांतिकुंज के अंतःवासी कार्यकर्ता भाई-बहिन उपस्थित रहे।
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