हरिद्वार 5 अक्टूबर ( गोपाल रावत वरिष्ठ पत्रकार ) विजया दशमी के पर्व के अवसर पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े में नागा संन्यासियों ने शस्त्र पूजन के साथ-साथ पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना की। इस अवसर पर परंपरागत रूप से गोला पूजन का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया । गोला पूजन केवल संन्यासी अखाड़ों में ही किया जाता है। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरि गिरी महाराज ने बताया गोला पूजन की परंपरा सन्यासी अखाड़ो के स्थापना के साथ ही प्रारंभ हुई थी। इस परंपरा में नागा सन्यासी धुने की पवित्र राख को गंगा जल और दूध से गूथकर भस्मी का गोला बनाते हैं। इस पवित्र गोले को अखाड़े के इष्ट देव के सम्मुख पूजा कर आश्रम और मंदिरों में ले जाया जाता है जहां उसकी पूजा-अर्चना और आश्रम धारी व श्रद्धालुओं संतों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं । उन्होंने बताया इस सात सन्यासी अखाड़ों जूना आह्वान, अग्नि, निरंजनी, आनंद, महानिर्वाणी तथा अटल में पवित्र गो
ले की आकृति भिन्न-भिन्न होती है। जूना अखाड़ा में आज प्रातः पुजारी वशिष्ठ गिरी श्री महंत सुरेशनंद सरस्वती, महंत महाकाल गिरि ,महंत हीरा भारती, महंत रतन गिरी आदि ने नागा सन्यासियों के साथ आनंद भैरव भगवान तथा दत्तात्रेय भगवान के मंदिर में परम्परागत पवित्र गोला का पूजन किया। तत्पश्चात नागा सन्यासियों के जत्थे के साथ गोला पूजाने के लिए नगर भ्रमण पर निकल गए ।इस भ्रमण कार्यक्रम के तहत पवित्र गोला सभी अखाड़ों तथा आश्रमों में पूजन के लिए ले जाया जाएगा ।शाम के समय वापिस जूना अखाड़ा पहुंचकर पवित्र गोला को भगवान दत्तात्रेय को समर्पित कर दिया जाएगा। गोला पूजन के कार्यक्रम में संरक्षक श्रीमंत हरिगिरी महाराज,अध्यक्ष श्री महंत प्रेम गिरी, सचिव श्री महंत महेश पुरी, श्री महंत सैलेंद्र गिरी श्री महंत पशुपति गिरी श्री महंत पूर्णागिरि श्री महंत मनोज गिरी उपस्थित थे।
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