पुराण मर्मज्ञ एवं तपस्वी युग महापुरुष थे स्वामी दीन दयालु महाराज : ज्ञानानन्द महाराज
अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध भागवत भूषण स्वामी दीनदयालु जी महाराज को संत समाज व गणमान्यजनों ने दी भावभीनी श्रद्धाजंलि
हरिद्वार, 16 नवम्बर। स्वामी दीनदयालु
जी महाराज पुराण मर्मज्ञ एवं तपस्वी युग महापुरुष थे। उन्होंने ही देश दुनिया में समस्त कथाओं को जन-जन पहुंचाने का महान कार्य किया। यह विचार गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज ने अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध भागवत भूषण स्वामी दीनदयालु जी महाराज के श्रद्धाजंलि समारोह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। स्वामी ज्ञानानन्द महाराज ने कहा कि निरन्तर 72 वर्षों तक श्रीमद् भागवत समेत सभी पुराणों व कथाओं का वाचन कर उन्हांेने राष्ट्र व समाज को सार्थक दिशा देने का कार्य किया है।
पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि दीन दयालु महाराज स्वामी करपात्री महाराज के परम शिष्य रहे। दीन दयालु महाराज श्रीविद्या के परम उपासक थे। उन्होंने धर्म, प्रचार व संस्कृति शिक्षा के उन्नयन हेतु हरिद्वार, वृन्दावन, काशी, हांसी, ऊना, जबलपुर में आश्रमों व संस्कृत विद्यालय की स्थापना की। 20 वर्ष की आयु से उन्होंने कथा व्यास के रूप में देश-विदेश में श्रीमद् भागवत, शिव पुराण, रामकथा, देवी भागवत, अष्टावक्र गीता, गीता प्रवचन, गणेश पुराण, सूर्य पुराण की 250 हजार से अधिक कथाओं का प्रवचन किया। उन्होंने अपने जीवनकाल में निरन्तर 71 वर्षों तक कथाव्यास के रूप में कार्य किया। उनका समूचा जीवन भारतीय संस्कृति व हिन्दू धर्म के उन्नयन को समर्पित रहा।
म.मं. स्वामी हरिचेतनानन्द जी महाराज व म.मं. स्वामी ललितानन्द गिरि ने कहा कि दीन दयालु महाराज ने कथा प्रचवन के साथ-साथ भागवत रहस्य, अष्टावक्र गीता, गीता रहस्य, राम गीता, दुख की जड़ काम और सुख की जड़ राम जैसी पुस्तकों की रचना कर सनातन संस्कृति को आम जनमानस तक पहुंचाने का कार्य किया।
अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता बाबा हठयोगी महाराज ने कहा है कि ब्रह्मलीन भागवत भूषण दीन दयालु महाराज भारतवर्ष की एक महान विभूति थे। जिनका आदर्शपूर्ण जीवन सभी के लिए प्रेरणादायी रहेगा। संत समाज ऐसे महापुरुषों को नमन करते हुए उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।
श्रद्धाजंलि समारोह की अध्यक्षता करते हुए म.मं. स्वामी भगवत स्वरूप महाराज ने कहा कि महापुरुषों का जीवन राष्ट्र को प्रकाशमय करता है, जिनके दर्शन मात्र से पापों से निवृत्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है। ब्रह्मलीन स्वामी दीन दयालु महाराज एक महान एवं तपस्वी संत थे। जिन्होंने जीवन पर्यंत धर्म एवं संस्कृति के उत्थान के लिए कार्य किया।
इस अवसर पर सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि ललिता आश्रम ट्रस्ट समाज सेवा, चिकित्सा, शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाकर समाज को एक नई दिशा प्रदान कर रहा है।
श्रद्धाजंलि समारोह का संचालन डॉ. चन्द्रभूषण शुक्ला ने किया। इस अवसर पर कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का शिव कुमार पांडे एवं हरिहर पांडे ने माल्यर्पण कर सम्मान किया।
इस अवसर पर संस्था के ट्रस्टी सतपाल सिंघला, योगेश बंसल, मनोहर लाल अरोड़ा, क्षेत्रीय पार्षद अनिरूद्ध भाटी, श्रीमहंत दुर्गादास, स्वामी हरिहरानंद, महंत सूरज दास, स्वामी राम मुनि, धर्म संघ काशी से जगजीतन पाण्डेय, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, महंत अरुण दास, स्वामी ज्ञानानंद शास्त्री, महंत प्रेमदास, श्रीमहंत विष्णुदास, महंत प्रहलाद दास, महंत गोविंद दास, महंत रघुवीर दास, राजमाता आशा भारती, महंत प्रमोद दास, महंत शुभम गिरी, महंत बाल गिरी, महंत पूर्णानंद गिरी, भक्त दुर्गादास, महंत नारायण दास पटवारी, दिनेश शर्मा, रूपेश शर्मा सहित बड़ी संख्या में संत महंत उपस्थित रहे।
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