देव संस्कृति विश्वविद्यालय मे उत्सव 23 हुआ संपन्न




 देसंविवि में आयोजित उत्सव-23 सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ संपन्न

प्रतियोगिता का सम्मिश्रण ने युवाओं में जगाया उत्साह ः डा पण्ड्या

तीन दिवसीय उत्सव-23 में कुल 50 प्रकार की आयोजित हुई प्रतियोगिताएँ

हरिद्वार 16 मार्च।

देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय उत्सव-23 का भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ समापन हो गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों को दिये संदेश में कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि शारीरिक व बौद्धिक प्रतियोगिता का सम्मिश्रण ने युवाओं में उत्साह जगाया है। इस भावना को बनाये रखने से मनोवांछित सफलता निश्चित है। वहीं कुलपति श्री शरद पारधी एवं प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने प्रतिभागियों की खेल भावना को सराहा।

खेल अधिकारी ने बताया कि खेलकूद के अंतर्गत छात्र-छात्राओं ने भी अपना दमखम दिखाया। उत्सव में सांस्कृतिक एवं खेलों के संबंधित कुल 50 प्रकार प्रतियोगिताएँ आयोजित की गयीं। दौड़, बालीबाल, बैडमिंटन, कबड्डी, खो-खो, चेस,टेबल टेनिस आदि प्रतियोगिताओं में युवाओं में जबरदस्त का उत्साह देखने को मिला। छात्रों ने अपने सहपाठियों को जिताने में अपनी खुशी जाहिर की। अपनी अपनी प्रतियोगिताओं में  में माधव, अभिनव, आलोक, दिव्यांशु, गौरव, हर्षिता, वीणा, नीति, प्रेरणा, ज्योतिका, जया, शिप्रा, ज्योति, अंश, साहिल, गबंल आदि विजयी रहे। 

सांस्कृतिक प्रतियोगिता प्रभारी डॉ. शिवनारायण प्रसाद ने बताया कि सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत  स्वरचित कविता पाठ में श्री राजकुमार वैष्णव की कविता को काफी सराहना मिली। समूह नृत्य में गुजराती टीम ने प्रथम तथा नाटी टीम ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। सोलो डांस क्लासिकल में अन्नै को प्रथम तथा केतकी को द्वितीय मिला। सेमी क्लासिकल सोलो डांस में देवकन्या को पहला तथा ग्रैसी को दूसरा स्थान मिला। एकल शास्त्रीय संगीत में रजत पाल को पहला स्थान मिला। एकल गायन में सचिन माथुुर को प्रथम स्थान मिला। प्रज्ञा गीत प्रतियोगिता में रुचि सिंह को पहला स्थान मिला। प्रज्ञागीत अंत्याक्षरी में भैरव ग्रुप ने जीत दर्ज की। उन्होंने बताया कि इस वर्ष शास्त्रीय संगीत, डॉस, क्वीज प्रतियोगिताओं में प्रतिभागियों ने अपनी कला, कौशल का जबरदस्त प्रदर्शन किया। उत्सव-23 में अधिकतर छात्र-छात्राओं ने अपने साथियों के हार को जीत में बदल दिया। इस दौरान छात्र-छात्राओं ने खेल भावना को बहुत ही सुंदर उदाहरण पेश किया। समापन अवसर पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम में छात्राओं ने सभी का मन मोह लिया। इस अवसर पर कुलपति श्री शरद पारधी, प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या, कुलसचिव श्री बलदाऊ देवांगन, सभी विभागाध्यक्ष सहित विश्वविद्यालय व शांतिकुंज परिवार एवं ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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देसंविवि में आयोजित संगोष्ठी में 25 शोध पत्र पढ़े गये

हरिद्वार 16 मार्च।

देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित पुस्तकालय प्रणाली पर सूचना संचार तकनीकी का प्रभाव विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज समापन हो गया। दो दिन चले इस संगोष्ठी में उत्तराखण्ड, उप्र, दिल्ली, पंजाब, आदि राज्यों से आये 25 शोधार्थी ने अपने शोध पत्र पढ़े। सभी ने पुस्तकालय की महत्व एवं आवश्यकता पर बल देते हुए ई पुस्तकालय के प्रति बढ़ते युवाओं की रुझान की सराहना की।  साहित्य मनुष्य की सबसे अच्छी दोस्त होता हैं। जैसे व्यक्ति अपने  दोस्त का हर पल, हर घड़ी, हर मुश्किल में साथ देते हैं, वैसे ही साहित्य भी हर विषम परिस्थिति में मनुष्य की सहायक होती है। साहित्यों में समस्त समस्याओं का समाधान छुपा हुआ होता है। इस अवसर पर दिल्ली के डॉ. एचजी होसामणि, हरियाणा के डॉ. राजीव वशिष्ठ, जमशेदपुर के डॉ एसपी गुप्ता, उत्तरांचल विवि के डॉ रामवीर तनवर आदि ने अपने कई दशकों के पुस्तकालय चलाने के अनुभवों को साझा किया।

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