जगद्गुरु भगवान शंकराचार्य ने राष्ट्र को धार्मिक , सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरोया : महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी
सूरत गिरी बंगले में महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज की अध्यक्षता एवं श्री महंत देवानंद सरस्वती महाराज के संचालन में दी गई जगतगुरू आद्य शंकराचार्य भगवान को श्रद्धांजलि
हरिद्वार 25 अप्रैल आद्य शंकराचार्य स्मारक समिति के तत्वाधान में सूरत गिरी बंगले में आदि शंकराचार्य भगवान को उनकी 1235 वीं जन्म जयंती के अवसर पर षड्दर्शन साधु समाज ने स्मरण किया और श्रद्धांजलि पुष्पांजलि अर्पित की, इस अवसर पर जगतगुरू आद्य शंकराचार्य स्मारक समिति के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज की अध्यक्षता एवं श्रीमहंत देवानंद सरस्वती महाराज के संचालन में सूरत गिरी बंगले में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें आद्य जगतगुरु शंकराचार्य भगवान को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरा नंद गिरि महाराज ने कहा कि भगवान शंकराचार्य ने संपूर्ण भारतवर्ष को धार्मिक ,सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया । उन्होंने कहा कि सन्यास परंपरा के संरक्षक संवर्धक भगवान आदि शंकराचार्य भगवान शिव के अवतार स्वरूप थे जिन्होंने सनातन धर्मयों को शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र का उपयोग करने का भी निर्देश दिया अखाड़े उन्हीं की देन है , उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र से की जाती है इसलिए वर्तमान में जो अखाड़े और सन्यास परंपरा के संत दृष्टिगोचर हो रहे हैं वह भगवान आदि शंकराचार्य की देन है।उन्होंने वर्तमान समय में सनातन हिंदू धर्म को संरक्षित करने के लिए सभी सनातन धर्मावम्लिबयों को जागरूक होने का आह्वान किया । निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि सनातन हिंदू धर्म के सभी मतमतांतर सनातन हिंदू धर्म के ही संवाहक और संरक्षक है भगवान आदि शंकराचार्य के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यह होगी कि हम सब मिलकर अपने धर्म की रक्षा और प्रचार प्रसार करें ।भारत माता मंदिर के श्री महंत एवं महामंडलेश्वर स्वामी ललिता नंद गिरी महाराज ने भगवान आदि शंकराचार्य को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने देश के चारों भागों में शंकराचार्य पीठ स्थापित कर राष्ट्र को धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत करने का जो कार्य किया उसी का परिणाम है कि समस्त हिंदू बद्रीनाथ जाना अपना सौभाग्य समझते हैं , श्री महंत देवानंद सरस्वती ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि चारों पीठों की व्यवस्थाओं को भारत के विपरीत भाषा भाषी ब्राह्मणों को सौंपकर भारत को एकता के सूत्र में बांधा । इसके लिए सदैव भगवान आदि शंकराचार्य को स्मरण किया जाता रहेगा । इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी आनंद चैतन्य ,महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद, महामंडलेश्वर स्वामी गिरिधर गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी ज्योतिषानंद , महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधनंद स्वामी कमलानंद सहित महंत महामंडलेश्वरो संत जनों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए समारोह के मध्य भारत माता मंदिर समन्वय सेवा ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी आई डी शर्मा शास्त्री, लाल माता देवी मंदिर के संचालक भक्त दुर्गादास महंत
राधा गिरी , भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश गिरी सहित गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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