श्री दक्ष मंदिर, कनखल में योगोत्सव कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
हरिद्वार 19 मई ( आकांक्षा वर्मा संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार ) योग विज्ञान विभाग, गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय द्वारा दक्ष मंदिर, कनखल में योगोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ योग प्रोटोकॉल के अभ्यास से प्रारम्भ हुआ इस प्रोटोकॉल का अभ्यास योग विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो सुरेन्द्र कुमार ने कराया। उन्होने बताया कि यह योग प्रोटोकॉल सभी व्यक्तियों के द्वरा सम्पन्न किया जाने वाला अभ्यास है। जो आसन-प्राणायाम, धारणा और ध्यान आदि का संयुक्त अभ्यास है। इसके अनतर्गत उन्होने आसनों के सम्पन्न करने में रखने वाली सावधानियों की चर्चा की और कहा कि योगाभ्यास किसी प्रशिक्षित योग गुरु के सानीध्य में ही सम्पन्न करना चाहिए। योग के आदि जनक भगवान आदिनाथ शिव माने जाते हैं। कनखल भगवान शिव का वास स्थान है। यहाँ पर किया गया योगाभ्यास निश्चित रूप से फलदायी होता है।
इस अवसर बोलते हुए प्रो ईश्वर भारद्वाज ने कहा कि योग जीवन को उत्कृष्ट बनाने कि विधा है। जीवन को हम किस प्रकार सरल बना सकते हैं? योग ही वह अभ्यास है जो जीवन को सरल बना देता है। जीवन में उलझने बहुत ही अधिक हैं। योग उन सभी को सुलझाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील कुमार जोशी ने कहा कि देश में जब महामारी के कारण लोग घरों में कैद हो गए थे तब लोगों की जान आयुर्वेद और योग के प्रयोग ने ही बचाई। उन्होने कहा कि यह षड्यंत्र के तहत कहा जाता है कि योग और आयुर्वेद इमरजेंसी में प्रयुक्त नही हो सकती है। इसको विस्तार से बताते हुए उन्होने कहा कि जब स्वस्थ्य से संबन्धित इमरजेंसी होती है तो एलोपैथी केवल लक्षणों पर आधारित चिकित्सा करती है। जबकि योग एवं आयुर्वेद मुख्यतः रोग को समूल रूप से नष्ट करने वाले सिद्धान्त पर कार्य करता है। उन्होने कहा कि दक्ष मंदिर ऐसी भूमि है जहां प्रथम बार सर्जरी हुई वह राजा दक्ष की हुई। साथ ही ज्वर की उत्पत्ति का स्थान भी यही है। इस स्थान पर योगोत्सव का आयोजन बहुत ही सार्थक एवं योग के उन्नयन के लिए आवश्यक है।
इस अवसर पर कार्यवाहक कुलसचिव प्रो एल पी पुरोहित ने कहा कि चेतना के विकास के लिए योग अभ्यास ही एकमात्र उपाय है। चेतना, जागरूकता, सजगता का पर्याय है। जीतने जागरूक रहेंगे जीवन भी उतना उपलब्धियों से भरा होगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सोमदेव शतांशु ने कहा कि योग भारतीय परंपरा का सतत प्रवाह है शारीरिक स्वास्थ्य की उन्नति हो अथवा मानसिक रूप से दृढ़ और सक्षम होना हो या आध्यात्मिक रूप से उन्नत होना हो उसके लिए योग के यम-नियम, आसन-प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान से समाधि की यात्रा व्यवस्थित रूप से करनी होती है। केवल आसन-प्राणायाम करने से कोई समग्रता को प्राप्त नहीं होता है। अतः योग के सभी अंगों का अभ्यास करना चाहिए।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ ऊधम सिंह ने बताया कि यह कार्यक्रम मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून के उपलक्ष्य पर देश के 100 ऐतिहासिक स्थलों पर सम्पन्न होने वाली श्रंखला में 33 दिन पूर्व आयोजित “योगोत्सव” सम्पूर्ण भारतवर्ष में प्रसिद्ध ऐतिहासिक “श्री दक्ष मंदिर”, कनखल- हरिद्वार में शुक्रवार 19 मई, 2023 को योग विज्ञान विभाग, गुरुकुल काँगड़ी (सम विश्वविद्यालय), हरिद्वार द्वारा सम्पन्न किया गया।
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