शांतिकुंज में गायत्री जयंती-गंगा दशहरा का महापर्व उत्साहपूर्वक मना
गंगा जीवनदायिनी और गायत्री प्राणदायिनी है ः डॉ पण्ड्या
गायत्री के तीन चरण उपासना, साधना व आराधना ः शैलदीदी
योग वासिष्ठ (निर्वाण प्रकरण) सहित दस पुस्तकों व वीडियो एल्बम का हुआ विमोचन
हरिद्वार, 30 मई। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि पतित पावनी मां गंगा जीवनदायिनी है और सद्बुद्धि की अधिष्ठात्री माता गायत्री प्राणदायिनी है। मां गंगा का गंगासागर तक पहुंचना और माता गायत्री का जन-जन तक पहुंचना हमारे ऋषियों की विशेष कृपा से संभव हुआ है। इनकी शरण में जो भी आता है, बिना किसी भेदभाव के अपनी गोद में स्वीकारती हैं। कहा कि गायत्री महामंत्र की मनोयोगपूर्वक की गयी साधना से साधक की रुद्र, विष्णु और ब्रह्म ग्रंथि खुलती है।
श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में आयोजित तीन दिवसीय गायत्री जयंती महोत्सव के मुख्य कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर गंगा दशहरा व गायत्री जयंती मनाने आये देश-विदेश के हजारों गायत्री परिवार के साधक मौजूद रहे।
वैज्ञानिक अध्यात्मवाद के मर्मज्ञ श्रद्धेय डॉ.पण्ड्या ने कहा कि गायत्री महामंत्र के मनोयोगपूर्वक जप से उसका तत्त्वदर्शन साधक में समाता है, जिससे साधक में वयं राष्ट्रे जागृयाम का भाव पैदा होता है। गायत्री साधना से विभिन्न समस्याओंं का दीर्घकालीन समाधान भी मिलता है। गायत्री जीवन विद्या का स्रोत है, जो भी साधक गायत्री की विधि विधान से साधना करता है, वह सामान्य से असामान्य स्तर तक पहुंचता है। गंगा के जलकणों और गायत्री के मंत्र अक्षरों में ज्ञान-विज्ञान के सभी तत्त्व समाए हैं। देवसंस्कृति विवि के कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने गायत्री महामंत्र व पतित पावनी गंगा की महात्म्य पर विस्तृत प्रकाश डाला।
संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि गायत्री और गंगा भाव संवेदनाओं की देवियाँ हंै। इनकी प्रेरणाओं को जीवन में उतारने से जीवन महान बनता है। गायत्री की तीन चरण- उपासना, साधना व आराधना है। गायत्री मंत्र की जप, तप से यह संभव है। उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार की संस्थापिका माता भगवती देवी शर्मा व अखण्ड दीप के जन्मशताब्दी वर्ष २०२६ की सफलता के लिए अभी से साधनात्मक पुरुषार्थ में जुट जाने का आवाहन किया।
इस अवसर पर गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने योग वासिष्ठ (निर्वाण प्रकरण-उत्तरार्द्ध), आओ गढ़े संस्कारवान पीढी भाग-एक (तेलुगू) सहित दस पुस्तकों, आओ संस्कारवान पीढ़ी, देवसंस्कृति विवि व शांतिकुंज की डाक्यूमेंट्री तथा प्रज्ञागीतों की वीडियो एल्बम आदि का विमोचन किया।
इससे पूर्व पर्व पूजन का वैदिक कर्मकाण्ड संस्कार प्रकोष्ठ के आचार्यों ने सम्पन्न कराया, तो वहीं ब्राह्ममुहूर्त में गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने पूज्य आचार्यश्री के प्रतिनिधि के रूप में सैकड़ों श्रद्धालुओं को गायत्री महामंत्र की दीक्षा दी। पर्व के अवसर पर शांतिकुुंज के उच्चप्रशिक्षित आचार्यों ने नामकरण, अन्नप्राशसन, विद्यारंभ, यज्ञोपवीत, विवाह सहित विभिन्न संस्कार बड़ी संख्या में निःशुल्क सम्पन्न कराये। सायंकालीन ब्रह्मवादिनी बहिनों ने विराट दीप महायज्ञ का संचालन किया। गायत्री परिवार ने अपने आराध्यदेव पं० श्रीराम शर्मा आचार्यजी की 33वीं पुण्यतिथि को संकल्प दिवस के रूप में मनाते हुए उनके बताये सूत्रों को स्वयं पालन करने एवं दूसरों को प्रेरित करने की शपथ ली। वहीं गायत्री विद्यापीठ शांतिकुंज की लक्ष्मी बाई कंपनी की गाइड्स ने अतिथियों का जलसेवा की।
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