हरिद्वार 2 जुलाई ( संजय वर्मा ) गुरुकुल कांगड़ी (सम विश्वविद्यालय), पूर्व मेंगुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय शैक्षिक जगत में अपनी विशिष्ट गौरवमयी छवि के रूपमें एक विश्वविख्यात शैक्षणिक संस्था है । अपनी पौराणिक एवं अद्वितीय गरिमा कोस्थापित करने में यहां के तत्समय से वर्तमान तक विद्यमान आर्य जगत के विद्वानोंके अतिरिक्त प्राध्यापकों एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों एवं छात्र/छात्राओं कीमहत्वपूर्ण भूमिका रही है । देश व दुनिया में विश्वविद्यालय में पढ़े-लिखेमहानुभावों ने गुरुकुल की पताका को अलग-अलग स्थानों पर फहराया है । प्रेस को जारीविज्ञप्ति में शिक्षकेत्तर कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने बताया किविश्वविद्यालय में 121 वर्षों में जितने नये आयाम स्थापितकिये हैं यह किसी से छिपा नहीं है मगर पिछले चार सालों से विश्वविद्यालय केकुलाधिपति डा0 सत्यपाल सिंह ने पूर्ण निष्ठा के साथ शैक्षिकवातावरण को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है । साथ ही साथविश्वविद्यालय पर संकट के बादल घिरने के पश्चात सरकार की मदद से इस संस्था काबेखुबी से संरक्षण भी किया है । वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आर्य प्रतिनिधि सभाओं नेगुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को बदनाम करने की साजिश रचि उसे रोकने व उनकाभंडाफोड़ ने का काम भी डा0 सत्यपाल सिंह ने किया है ये एकविशुद्ध आर्य समाजी होने के साथ देश के पटल पर वैदिक विद्वान भी हैं । आर्य समाजके अग्रणी विद्वानों में डा0 सत्यपाल सिंह की विद्वता आमजनता लोहे की तरह मानती है । विश्वविद्यालय के शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी डा0सत्यपाल सिंह को स्वामी श्रद्धानन्द का अवतार मानते हैं। विश्वविद्यालय का उद्धार व विकास निस्वार्थ रूप से इनके द्वारा किया जा रहा हैजिससे सभाओं की आंखों में डा0 सत्यपाल सिंह चुभ रहे हैं ।रोहतक के दयानन्द मठ में जिस तरह से डा0 सत्यपाल सिंह को निशाना बनाया गया यह बिल्कुल गलत व निंदनीय है क्योंकि हरियाणाप्रतिनिधि सभा के प्रधान श्री राधाकृष्ण द्वारा स्वामी श्रद्धानन्द की तपस्थलीगुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को देश में बदनाम करने की साजिश किसी से छिपी नहींहै । डा0 राजेन्द्र विद्यालंकार ने रोहतक में जो बोला वह एकछिछोरापन, मानसिक दिवालिया पन को दर्शाता है कि स्वामीश्रद्धानंद द्वारा स्थापित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा0सत्यपाल सिंह के संदर्भ में झूठी ओर तथ्यहीन बयान देकर आर्य समाज केलोगों को भडकाने का कार्य किया जा रहा है जो अशोभनीय व निंदनीय है हम सब शिक्षक वशिक्षकेत्तर कर्मचारी इसकी घोर निंदा व भर्त्सना करते है ।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 मेंविश्वविद्यालय पर आये संकट के समय किसी भी आर्य प्रतिनिधि सभा का कोईसदस्य/पदाधिकारी सहयोग हेतु नहीं आया, उस कालान्तर मेंविश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने स्वयं चन्दाइकट्ठा कर विश्वविद्यालय को बचाने की लडाई लडी । आर्य समाज सभाओं का इतिहास इस बातका गवाह है कि स्वामी श्रद्धानंद द्वारा स्थापित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय कीजमीनों को बेचने का काम पूर्व में सभाओं द्वारा किया गया है लेकिन सभाओं केप्रतिनिधि आर्य समाज के बीच यह भी ढिंढोरा पीट रहे हैं कि गुरुकुल कांगड़ीविश्वविद्यालय को सरकार से बचाने कार्य किया जायेगा । सभाएं ऐसे व्यक्ति डा0रूपकिशोर शास्त्री को बचाने का प्रयास कर रही हैं उन्होंनेविश्वविद्यालय में ही नहीं देश की अन्य संस्थाओं में भी भ्रष्टाचार किया जिसकीजांच भारत सरकार की केन्द्रीय एजेंसी कर रही हैं । न्यायालय से भी सभाओं को कोईमदद नहीं मिल रही है । भारत सरकार द्वारा विश्वविद्यालय को उन्नयन किया जा रहा हैजिससे भविष्य में विद्यार्थियों को केन्द्र सरकार की योजनाओं का लाभ पूर्ण रूप सेमिल सकेगा । स्वामी श्रद्धानन्द की 121 वर्ष पूर्व स्थापितगुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की परिकल्पना को डा0 सत्यपालसिंह के नेतृत्व में प्रो0 सोमदेव शतांशु द्वारा साकार कियाजा रहा है ।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तरपर स्थापित करने हेतु भारत सरकार द्वारा जारी विनियम 2023 लागूकिया है । इस पुनीत कार्य हेतु हरिद्वार के सांसद, विधायक,गणमान्य व्यक्तियों एवं समस्त हरिद्वार के नागरिकों द्वारा इसकास्वागत किया गया है ।
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