हरिद्वार 1 सितंबर सन्त बाहुल्य उत्तरी हरिद्वार भू
पतवाला स्थित स्वामी तुरियानंद संत्सग सेवा आश्रम मे शुक्रवार को स्वामी तुरियानंद महाराज का 148वां अवतरण दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया। आध्यात्मिक समारोह में बड़ी संख्या में दूर दराज से आये श्रद्धालु भक्तों को कई संतो ने संबोधित किया।सन्त सम्मेलन की अध्यक्षता आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मा पुरी जी महाराज ने करते हुए श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए सनातन धर्म के सार की जानकारी दी। गद्दीनशीन स्वामी विवेकानंद गिरी महाराज की अपार कृपा तथा संगरक्षण मे एक विराट संत सम्मेलन स्वामी तुरियानंद ट़स्ट रजिस्टर सहारनपुर द्वारा आयोजित किया गया ।सम्मेलन में सहारनपुर, दिल्ली, मुजफ्फरनगर तथा आसपास के क्षेत्रों से आये श्रद्धालु भक्तो ने भाग लिया। कार्यक्रम में गद्दीनशीन स्वामी विवेकानंद महाराज ने संत संगत को संबोधित करते हुए कहा आज हम अपने बच्चों को महगी शिक्षा देकर धन कमाना आई,ए,एस, आईंपीएस, कैसे बनना तथा अच्छा पद कैसे प्राप्त हो यह तो सिखा रहे हैं। किंतु उस सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ का जो ब्रहमाण्ड का संचालन करता हैं और जो मालिक है, उसकी स्तुति करना वंदना करना उसका धन्यवाद करना बंद कर दिया है। जो हमे सृषटियों के माध्यम से से हम उसके साधनो का विमोचन कर रहे है बिल्कुल भी उचित नही समझ रहे है। परिणामस्वरूप पांचो स्थूल अपरा शक्तियां हमने प्रदुषित कर दी है। तीनो सुक्षम तत्व मन, बुद्धि, और अंहकार, भी दुषित हो गये हैं। भौतिक ज्ञान प्राप्त करने स्कूल कालेज में अध्यापक के पास जाना ही पडता है। उसी प्रकार आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए गुरु के पास जाने से ही आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। भगवान भी ज्ञान की प्राप्ति के लिए गुरु के पास ही गये। चाहे राम हो कृष्ण हो या साधरण मनुष्य सभी को ज्ञान की प्राप्ति गुरु के पास ही होती है। उन्होंने कहा वाणी मे मन तू स्वरूप है अपना मूल ज्ञान, वहीं संतो को उर्जा का केंद्र माना जाता है। वे अपनी साधना से प्रकृति में फैली उर्जा का संग्रहण कर वे समाज की भलाई के लिए खर्च करते हैं। संत सम्मेलन में निर्मल अखाड़ा परमाध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव जी महाराज,गीताविज्ञान आश्रम परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञाना नंद जी महाराज,स्वामी भगवत स्वरूप महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद जी महाराज,महामंडलेश्वरस्वामी जनक पुरी महाराज,महामंडलेश्वर शिवानन्द जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमा नंद जी महाराज,स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज,महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद जी महाराज, महंत स्वामी रतिदेव जी महाराज,स्वामी शिव चैतन्य जी महाराज, पदम प्रसाद सुवेदी, मोहन चैतन्य पुरी जी ,स्वामी गोविन्द दास, महंत सूरज दास, महंत दिनेश दास, स्वामी चिदविलासा नंद,स्वामी रविन्द्र नंद सहित कई अन्य संत,महंत सहित अन्य शामिल हुए।
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