गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ

 गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कार्यशाला का हुआ उद्घाटन

हरिद्वार 11 सितंबर (वीरेंद्र शर्मा संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार ) किसी भी विषय की प्रासंगिकता और उपयोगिता बनाए रखने के लिए सतत अनुसंधान आवाश्यक है। आज जिस विषय में नवीन अनुसंधान हो रहे हैं वह विषय सभी के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है। उक्त वक्तव्य योग विज्ञान विभाग गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की ओर से  रिसर्च मेथडोलॉजी विषय पर राष्ट्रीय कार्यशला के उद्घाटन अवसर पर प्रो. ईश्वर भारद्वाज ने कही। आज भारतीय ज्ञान परंपरा के योग एवं आयुर्वेद को विज्ञान की कसौटी पर खरा साबित करने की दिशा में हम आगे बढ़ चुके हैं। यही कारण है कि कोरोना महामारी में योग एवं अन्य वैकल्पिक पद्धतियां ही हमारे उपयोग का आधार बनीं। आज योग एवं अन्य पारंपरिक ज्ञान पर शोध करने की आवश्यकता है। यह कार्यशाला निश्चित रूप से आप सभी प्रतिभागियों में अनुसन्धान के प्रति रुचि जागृत करेगी। विशिष्ठ अतिथि के रूप में बोलते हुए विश्वविद्यालय के कुलसाचिव प्रो सुनील कुमार ने कहा कि योग विज्ञान विभाग द्वारा अयोजित अनुसन्धान विधियों पर राष्ट्रीय कार्यशाला आज की महती आवश्यकता है। आज अनुसंधान ही किसी विषय की प्रामाणिकता को समाज में स्थापित करता है। अतः अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर आपके शोध को स्थान प्राप्त होता है तो यह आपके अनुसंधान की उपलब्धि है। आज अनुसन्धान आधारित समाधान ही मान्य हैं। अतः जो भी समस्याएं है। उनका समाधान अनुसन्धान के द्वारा होना अब प्रचलन में आ गया। आज कोई भी कंपनी बिना रिसर्च किए कोई भी कार्य नहीं करती है। योग एवं आयुर्वेद एवं अन्य विषयों को स्थापित करने के लिए अनुसन्धानरत होना आवाश्यक है। 

कार्यक्रम का अध्यक्षीय उद्बोधन विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो. अम्बुज कुमार शर्मा ने देते हुए कहा कि अनुसन्धान एक प्रकार का कौशल है। यह एक प्रकार से हमारी रचनात्मक क्षमता को प्रदर्शित करता है। राष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च मेथडोलॉजी विषय आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला आज के वर्तमान समय में बहुत ही आवाश्यक है। शोधार्थियों और शिक्षकों में अनुसन्धान के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए महत्वपूर्ण और आवशयक है।

कार्यशला के आयोजन सचिव डॉ. ऊधम सिंह ने बताया कि इस कार्यशाला में 40 से अधिक प्रतिभागी प्रतिभाग कर रहें हैं। इस कार्यशाला में जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा आदि से प्रतिभागी आए हुए हैं। इस कार्यशाला में 40 से अधिक व्याख्यान होंगे। विषय विशेषज्ञ के रूप में देश के प्रमुख संस्थानों, विश्वविद्यालयों से आमंत्रित किए गए हैं।

यह कार्यशाला अनुसन्धान में रुचि रखने वाले शोधार्थियों एवं शिक्षकों के अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।


No comments:

Post a Comment

Featured Post

सुशासन के पक्षधर थे अटल बिहारी वाजपेई :- प्रोफेसर बत्रा

हिमालय जैसे अटल व्यक्तित्व के धनी थे अटल बिहारी वाजपेई: प्रो बत्रा। हरिद्वार 23 दिसंबर, 2024  महाविद्यालय में सोमवार को छात्र कल्याण परिषद ए...