साहित्य में नदी संस्कृति पर आयोजित होगा दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन


हरिद्वार 23 सितंबर ( संजय वर्मा )अखिल भारतीय साहित्य परिषद् उत्तराखण्ड द्वारा “साहित्य में नदी संस्कृति” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी 24-25 सितम्बर 2023 को हर्षोल्लास के साथ आयोजन की पूर्णरूप से तैय्यार

राष्ट्रीय संगोष्ठी के सूचना प्रभारी एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद् हरिद्वार के जिला महामन्त्री डॉ. विजय त्यागी के द्वारा अवगत कराया गया कि कुम्भनगरी हरिद्वार में अखिलभारतीय साहित्य परिषद् उत्तराखण्ड के सहयोग से राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन की सभी तैय्यारियाँ पूर्ण कर ली गई हैं। परिषद् द्वारा 24 व 25 सितम्बर 2023 को पूर्ण हर्षोल्लास के साथ यह आयोजन करने के लिए कटिबद्ध एवं संकल्पित हो चुका है। यह आयोजन जम्मू यात्री भवन, जैन मन्दिर के सामने, ऋषिकेश रोड भूपतवाला, हरिद्वार (उत्तराखण्ड) में किया जाना पूर्व से सुनिश्चित है। आयोजक मण्डल डॉ. सुनील पाठक(प्रदेश अध्यक्ष), डॉ. जगदीश पंत कुमुद (कार्यकारी प्रदेश महामन्त्री), श्री सचिन प्रधान (जिला अध्यक्ष हरिद्वार) तथा डॉ. विजय त्यागी (जिला महामन्त्री, हरिद्वार) एवं समस्त जिज्ञासु कार्यकारिणी सदस्य समस्त तैय्यारियों के साथ दिनांक 24 सितम्बर 2023 को प्रातः 10.00 बजे उद्घाटन सत्र, 12.00 बजे प्रथम चर्चा सत्र, अपराह्ण 2.30 से 04.00 बजे तक द्वितीय चर्चा सत्र तथा सायं 05.00 बजे से 6.30 बजे तक तृतीय चर्चा सत्र का प्रकल्प लेकर तैय्यार हैं। इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय त्रिवेन्द्र सिंह रावत (पूर्व मुख्यमन्त्री, उत्तराखण्ड) तथा मुख्य वक्ता के रूप में श्री श्रीधर पराड़कर (राष्ट्रीय संगठन मन्त्री, अखिल भारतीय साहित्य परिषद्) एवं स्वागत भाषण डॉ. सुनील पाठक (उत्तराखण्ड प्रदेश अध्यक्ष- अखिल भारतीय साहित्य परिषद्) द्वारा किया जाना है। 

संगोष्ठी के द्वितीय दिवस 25 सितम्बर 2023 की रूपरेखा के 9.30 बजे से विभिन्न चर्चा सत्रों का आयोजन करते हुए समापन सत्र में मुख्य अतिथि श्री मदन कौशिक (माननीय विधायक हरिद्वार), पाथेय प्रदाता के रूप में श्री श्रीधर पराड़कर (राष्ट्रीय संगठन मन्त्री, अखिल भारतीय साहित्य परिषद्) तथा अध्यक्षीय उद्बोधक के रूप में डॉ. सुशील चन्द्र त्रिवेदी (अध्यक्ष, अखिल भारतीय साहित्य परिषद्) प्रतिष्ठित रहेंगे। विशिष्ट उद्बोधक के रूप में डॉ. पवनपुत्र बादल (केन्द्रीय संयुक्त महामन्त्री, अखिल भारतीय साहित्य परिषद्) का होगा तथा डॉ. जगदीश पंत कुमुद (कार्यकारी प्रान्तीय महामन्त्री, अ.भा.सा. परिषद् उत्तराखण्ड), श्री सचिन प्रधान (जिला अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य परिषद हरिद्वार) तथा जिला महामंत्री डा विजय त्यागी आभार व्यक्त करते हुए समस्त आगन्तुकों का धन्यवाद ज्ञापन करेंगे। 

अवगत हो कि संगोष्ठी में भारतवर्ष के विभिन्न प्रान्तों से आशा वर्मा(उ.प्र.), ज्योत्सना सिंह(उ.प्र.), इंदुशेखर तत्पुरुष(राजस्थान), कृष्णलाल विश्नोई(राजस्थान), श्री सुभाष विश्नोई(राजस्थान), डॉ. मीनाक्षी मीनल(बिहार), डॉ. रवीन्द्र शाहाबादी(बिहार), डॉ. नन्द जी दुबे(बिहार), डॉ. नीता सक्सेना(भोपाल), डॉ. राजेश्वर राजू(जम्मू), श्रीरामगोपाल तिवारी(मध्यप्रदेश), डॉ. रतन मनेरिया(राजस्थान), शीतल कोकाटे(महाराष्ट्र), मंजू रेढु(हरियाणा), शिवनीत सिंह(हरियाणा), स्नेहलता शर्मा (राजस्थान), डॉ. भगवान त्रिपाठी(उड़ीसा), स्वाति मैत्रेयी(दिल्ली), डॉ. रामानुज पाठक(मध्यप्रदेश), चन्द्रिका प्रसाद मिश्रा(महाराष्ट्र), सपना जायसवाल(हिमाचल), रचना शर्मा(हिमाचल), शिव मंगल मंगल(उ.प्र.), रवीन्द्रनाथ तिवारी(उ.प्र.), नीलम (दिल्ली), ज्योति भूषण जोशी (गोवा), आदित्य कुमार गुप्ता (राजस्थान), डॉ. बलदेव मोरी (गुजरात), डॉ. दिलीप के. जोगल (गुजरात), डॉ. बलजीत श्रीवास्तव(उ.प्र.),डॉ. विपिन चन्द्र(राजस्थान) जैसे अखिलभारतीय ख्यातिप्राप्त विद्वानों के विचारों से श्रोतागण तथा समाज लाभान्वित होगा। साथ ही लब्धप्रतिष्ठित स्थानीय विद्वान् साहित्यकारों में रेखा खत्री(श्रीनगर), लोकेषणा मिश्रा (हल्द्वानी), डॉ. शान्तिचन्द (खटीमा), अनुपमा बलूनी(श्रीनगर), डॉ. ऋतुध्वज(हरिद्वार), डॉ. अर्चना डिमरी (देहरादून), डॉ. नीरज नैथानी (श्रीनगर), डॉ. पुष्पा खण्डूरी (देहरादून), डॉ. केतकी तारा(अल्मोड़ा), पुष्पलता जोशी (हल्द्वानी), आरती पुण्डीर(श्रीनगर), डॉ. सुमन पाण्डे(लोहाघाट), डॉ. वन्दना (लोहाघाट), डॉ. अनीता टम्टा (लोहाघाट), डॉ. रोमा (खटीमा), डॉ. सोनिका (खटीमा), डॉ. दिनेश राम(लोहाघाट) आदि 50 से अधिक विद्वानों के विचारों का निष्कर्ष संगोष्ठी में नदी संस्कृति की परम्परा का पोषक सिद्ध होगा।



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