सिक्किम के राज्यपाल का शांतिकुंज में हुआ स्वागत


 सिक्किम के राज्यपाल श्री आचार्य सपरिवार शांतिकुंज पहुंचे

हरिद्वार 20 सितंबर ( अमर शदाणी संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार )

सिक्किम के माननीय राज्यपाल श्री लक्ष्मण प्रसाद आचार्य जी अपनी धर्मपत्नी श्रीमती कुमुद देवी व अन्य परिवारिजन के साथ देवसंस्कृति विश्वविद्यालय पहुंचे। माननीय राज्यपाल के आगमन पर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने पुष्पगुच्छ भेंटकर आत्मीय स्वागत किया।

माननीय राज्यपाल श्री आचार्य जी ने देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में युवाओं के चहुंमुखी विकास के लिए चलाय जा रहे विभिन्न रचनात्मक एवं सुधारात्मक गतिविधियों का अध्ययन किया। वे देसंविवि में स्थापित भारत के प्रथम बाल्टिक सेंटर पहुंचे और बाल्टिक देशों में भारतीय संस्कृति के विस्तार के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रमों से अवगत हुए। माननीय राज्यपाल श्री आचार्य जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आधारित नियमों पर संचालित देवसंस्कृति विवि की सराहना की और कहा कि सच्चे अर्थों में देवसंस्कृति विवि युवाओं में जीवन मूल्यों के विकास के संकल्पित संस्थान है। शांतिकुंज में 1987 में  एक मासीय युगशिल्पी का प्रशिक्षण लेने वाले श्री आचार्य जी ने बताया कि गायत्री परिवार के कार्यों को बहुत ही निकट जानता हूँ। पूज्य पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के विचारों ने मुझे आगे बढ़ने में मदद की है।

पश्चात वे सपिरवार शांतिकुंज पहुंचे और अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या व श्रद्धेया शैलदीदी से भेंट की और विभिन्न विषयों पर चर्चा की। श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने राज्यपाल जी को गायत्री माता चित्र एवं युगसाहित्य भेंट की। सन् 1926 से सतत प्रज्वलित सिद्ध अखण्ड दीप का दर्शन कर राष्ट्र की उन्नति की कामना की। फिर वे युगऋषिद्वय की पावन समाधि में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर मानवता की रक्षा हेतु प्रार्थना की।

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शांतिकुंज में पांच दिवसीय समर्थ सक्रिय कार्यकर्ता शिविर का समापन

श्रद्धा एवं सक्रियता के संकल्प के साथ परिजनों को दी विदाई, निकाली गयी भव्य शोभायात्रा

हरिद्वार 20 सितंबर।

शांतिकुंज में चल रहे पाँच दिवसीय समर्थ सक्रिय कार्यकर्ता शिविर का आज शोभायात्रा के साथ समापन हो गया। समापन समारोह में लाल मशाल के साथ परिजनों को श्रद्धा एवं सक्रियता को बढ़ाने के संकल्प के साथ विदाई दी गयी। शिविर में उत्तराखण्ड, उप्र, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा के चयनित सक्रिय  कार्यकर्त्ताओं ने शामिल रहे।

इससे पूर्व समापन समारोह को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कार्यकर्त्ता श्री शिवप्रसाद मिश्र ने युग निर्माण मिशन के अपने पाँच दशक के अधिक समय के अनुभवों का साझा करते हुए कहा कि भगवान के प्रति श्रद्धा, निष्ठा एवं सक्रियता के साथ कार्य करेंगे, तो वे हमें पग पग पर सहयोग, संरक्षण व मार्गदर्शन  देने के लिए तैयार रहते हैं। मीरा, प्रह्लाद आदि ने अपनी श्रद्धा, निष्ठा से प्रतिकुल परिस्थतियों को भी अनुकूल बनाने के लिए भगवान को विवश कर दिया था। युगऋषिद्वय भी अपने सृजन सैनिकों के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। आप तो करके देखिए।

शिविर समन्वयक ने बताया कि पाँच दिन चले इस राष्ट्रीय शिविर में कुल बारह सत्र हुए और इसमें इतने ही विषयों पर डॉ ओपी शर्मा, डॉ गायत्री शर्मा, श्री केपी दुबे, प्रो. प्रमोद भटनागर, श्री श्यामबिहारी दुबे, श्री योगेन्द्र गिरी आदि विषय विशेषज्ञों ने विस्तृत जानकारी दी। समापन से पूर्व भव्य शोभायात्रा निकाली गयी। पश्चात युगऋषिद्वय की पावन समाधि में महाआरती हुई और श्रद्धा व सक्रियता के साथ जन जन में सकारात्मक बदलाव एवं व्यक्ति, परिवार, समाज व  राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित करने का संकल्प लिया।

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