हरिद्वार 23 दिसंबर विद्ववान एडवोकेट विजय उपाध्याय की कड़ी मेहनत लगन के साथ कि पैरवी से प्रार्थी की न्याय मिला, माननीय न्यायालय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट महोदय के यहाँ प्रस्तुत अंतर्गत 156(3) CRPC प्रार्थना पत्र का निस्तारण करते हुई माननीय न्यायालय ने प्रार्थी का प्रार्थना पत्र स्वीकार कर थाना श्यामपुर को मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने के आदेश पारित किया।प्रार्थी के विद्ववान अधिवक्ता श्री विजय उपाध्याय ने प्रार्थी का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर माननीय न्यायालय के समक्ष बहस करते हुए कहा
कि प्रार्थी एक भारतीय सेना से निवृत सैनिक है जिसे अशोक भाटी पुत्र आशाराम ने अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में फंसा कर प्रार्थी को प्रोपर्टी के व्यापार में 40% की भागीदारी के लाभ की बात की प्रार्थी अशोक भाटी के बातों में आकर अपना शेयर देदिया 6 बीघा जमीन तीन बार मे खरीदी गई हर बार अशोक भाटी प्रार्थी को गुमराह करके अपने नाम ही रजिस्ट्री करवाई और प्रार्थी को कहता रहा कि तुम चिंता मत करो हम दोनों एक है तुमको तुम्हारे लाभांश का हिस्सा मिल जाएगा।
इसके लिये एक सयुक्त खाता बैंक में खोला गया लेकिन विपक्षी ने कूटरचित दस्तावेज के आधार पर बैंक का मोड़ आईडर व सर्वाइवर करा कर जमा सारी रकम खुद ही निकाला ली। और जमीन को लगभग 25 प्लॉटों में बेचा गया उसका सारा पैसा खुद हड़प गया और प्रार्थी के बार बार अपने हक मांगने पर कहा कि तुमको अब केवल 29.80% ही मिलेगा इसके लिये उसने 2000000, बीस लाख रुपये के चेक दिए जो बाउंस हो गए।प्रार्थी जब अपने पैसे मांगे तो प्रार्थी को उल्टा मार पीट की और गाली गाली और गलौच कर जान से मारने की धमकी देने लगा प्रार्थी थाने गया पर वहां उसकी कोई सुनवाई नही हुई फिर प्रार्थी ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय को प्रार्थना पत्र दिया उसपर भी कोई कार्यवाही नही हुई । तब प्रार्थी अपने एडवोकेट श्री विजय उपाध्याय के माध्यम से न्यायालय की शरण मे गया प्रार्थी के एडवोकेट श्री विजय उपाध्याय ने कड़ी मेहनत व लगन से मुकदमा लड़ा और माननीय उच्चतम न्यायालय की नजीर पेश कर न्यायालय के समक्ष सम्पूर्ण तथ्यों को उजागर करते हुए जोरदार बहस की और अपने मुवक्किल को न्याय दिलाने के लिये प्रार्थना की न्यायालय में बहस सुनी और सम्पूर्ण दस्तावेज़ों के अवलोकन के पश्चात प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए पाया कि विपक्षी द्वारा संघेय अपराध कारित किया है इसलिये थाना श्याम पुर को मुकदमा दर्ज विवेचना के पश्चात रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करने के आदेश पारित किया।
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