खुद को शंकराचार्य लिख कर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं अविमुक्तेश्वरानंद : शंकराचार्य वासुदेवानंद
ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य और केंद्र सरकार द्वारा गठित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने अपना एक वीडियो जारी कर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर बीते कुछ दिनों से चल रही तमाम अटकलें व चर्चाओं पर विराम लगा दिया है।
दरअसल पिछले कुछ दिनों से एक संत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा अपने आप को शंकराचार्य बताते हुए सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल किये जा रहे थे जिनमें कहा जा रहा था कि ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य के साथ चारों शंकराचार्य को श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण नहीं आया है और चारों ही शंकराचार्य इस समारोह में सम्मिलित होने नहीं जा रहे हैं।
जिसका खंडन करते हुए ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि अविमुक्तेश्वरानंद किसी भी सूरत में ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य नहीं है और ना ही यह ब्राह्मण है तो इनको संन्यास का कोई अधिकार नहीं है।
साथ ही उन्होंने कहा कि मैं ज्योतिषपीठ का शंकराचार्य होने के नाते श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सम्मिलित हो रहा हूं और बाकी तीन शंकराचार्य का किसी प्रकार का विरोध मेरे समक्ष नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि बीते दिनों माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अविमुक्तेश्वरानंद के पट्टाभिषेक पर रोक लगा दी थी बावजूद इसके इन्होंने अपना पट्टाभिषेक करवाया व अब अपने आप को शंकराचार्य लिख रहे हैं जो कि सरासर गलत है।
शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि इन पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलना चाहिए यह सनातन प्रेमियों की आस्था का विषय है। इस पर यह तुष्टीकरण की राजनीति करना ठीक नहीं।
साथ ही शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि इनको किसी ने शंकराचार्य नियुक्त नहीं किया है यह अपने आप को बेवजह ही शंकराचार्य लिख रहे हैं जबकि मात्र पीठ के शंकराचार्य को ही अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने का अधिकार है।
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