जब गांव वालो ने मान लिया की अब वापस नहीं आयेगे
विनय चौहान, नीरज चौहान की स्मृतियां
30 अक्तूबर1990 को अयोध्या गए किशोरावस्था में कार सेवक। बहादराबाद। राम जन्म भूमि मुक्ति आंदोलन 30 अक्टूबर बहादराबाद क्षेत्र के अतमलपुर बोंगला गांव से विनय चौहान और चचेरे भाई नीरज चौहान किशोरवस्था कारसेवक के रूप में भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री स्वर्गीय क्रेश चंद जायसवाल के नेतृत्व में अयोध्या के लिए रवाना हुए थे। अक्तूबर 1990 के पहले सप्ताह में ये लोग घरों से निकल गए थे क्योंकि दूसरे हफ्ते ट्रेनें बंद होने के आदेश आ गए थे। प्रभु राम अपने दिव्य व भव्य मंदिर में पधारने पर के अवसर पर उनकी ताजा हो रही है ।अक्तूबर 1990 को जब राम मंदिर आन्दोलन अपनी चरम पर था। ओर मुलायम सिंह यादव की पुलिस राम भक्तो को गिरफ्तार कर जेल में डाल रही थी। स्थानीय स्तर पर आंदोलन चला रहे नेता भूमिगत हो गए थे। लोगो का घरों से निकलना मुश्किल हो रहा था। नेताओ पर पहला जत्था भेजने का दबाव था। लेकिन कोई अयोध्या जाने को कोई अयोध्या जाने को तैयार नहीं हो रहा था। तब बहादराबाद क्षेत्र अतमलपुर बोंगला से दो चचेरे भाई अपने एक दोस्त संजय के साथ भाजपा नेता क्रेश चंद जायसवाल के नेतृत्व में अयोध्या के लिए कार सेवा के लिए रवाना हुए। जिन्हें फैजाबाद के नजदीक सुहावल स्टेशन पर ट्रेन पर दोपहर के समय उन्हें वहां उतारा गया। पूरा दिन उन्हें अन्य कर सेवको के साथ एक जंगल में ठराया गया। रात के समय भूखे प्यासे कार सेवको को चलने के बाद अगले दिन सुबह एक अन्य जगल में ले जाया गया। जहां पहले से देश के अन्य स्थानों से आए कार सेवको ठहराया गया था।दो दिन तक उसी जंगल में रोका गया। फिर अगले दिन नदी के रास्ते दिन भर चलने के बाद फिर एक जंगल तमसा नदी के तट पर रोका गया था।गांव से इक्कठा हुआ खाना मिलता था। जिसमे सुखी रोटियां और गुड़ हुआ करता था। तमसा नदी का पानी पीकर प्यास बुझाते थे। सभी कार सेवक अगले आदेश की प्रतिक्षा कर रहे थे।उस स्थान की मुलायम की पुलिस को जानकारी मिल गई। जब सब कार सेवक सुबह सोकर उठे तो चारो तरफ से जंगल को पुलिस ने घेर रखा गया। वहां से पुलिस ने पकड़ पकड़कर एक इंटर कालेज में रखा गया। लेकिन जब वहां से कार सेवको ने अगले दिन निकल कर अयोध्या पहुंचनेचने के लिए प्लान बनाया तो उसकी पुलिस को भनक लग गई।अगले दिन पुलिस ने सैकड़ो बसे मंगाकर सभी कार सेवको को नैनी जेल इलाहाबाद भिजवाया। 15 दिन नैनी जेल में रहने के बाद 6 नवंबर में उनकी रिहाई हुई। रिहाई के बाद सीधे अयोध्या फूचे। सरयू में स्नान कर राम लला के दर्शन कर वापस लोटे इस दौरान 30 अक्तुबर का गोलीकांड हो चुका था। और दोनो चचेरे भाई घर वापस नही लोटे थे। गोलीकांड के एक 10 दिन बाद गांव में पहुंचे तो गांव का माहोल बदला हुआ था। गांव में गम और मातम का माहोल था। दोनो चचेरे भाइयों के वापस आने की उम्मीद गांव वाले खो चुके थे। खुद संगठन के लोग भी।प्रेषण थे। क्योंकि उन्हें उनके परिजनों को जवाब देते नही बन रहा था।दोनो की माताओं का रो रोकर बुरा हार। था। दोनो अपने बेटो के वियोग रो रोकर अपनी आंखे गवा चुकी थी। अचानक अपने बच्चो को अपने सामने देखकर दोनो परिवार खुशी से पागल हो गए थे।
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