पंचकोसी परिक्रमा में जगह-जगह हो रहा है संत जनों का स्वागत



 पंचकोशी परिक्रमा में दूसरे दिन हजारों संत व श्रद्धालु शामिल हुए

संतों व श्रद्धालुओं ने श्री शूलटंकेश्वर महादेव, आदि माधव, चक्र माधव, गदा माधव, सोमेश्वर महादेव व श्री भैरव की पूजा-अर्चना की


हरिद्वार 2 फरवरी ( गोपाल रावत वरिष्ठ पत्रकार ) जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज की अध्यक्षता में शुरू हुई पंचकोशी परिक्रमा का शुक्रवार को भी अनेक स्थानों पर स्वागत किया गया। दूसरे दिन की यात्रा संगम स्नान पूजन के साथ शुरू हुई। परिक्रमा में शामिल संतों व श्रद्धालुओं ने शुक्रवार को परिक्रमा के दौरान अरैल स्थित श्री शूलटंकेश्वर महादेव जी का दर्शन व पूजन, अरैल स्थित आदि माधव जी का दर्शन व पूजन, अरैल स्थित चक्र माधव जी का दर्शन व पूजन, अरैल स्थित सोमेश्वर महादेव जी का दर्शन व पूजन, छिंवकी स्थित गदा माधव जी का दर्शन व पूजन, ग्राम महेवा स्थित श्री भैरव जी का दर्शन व पूजन किया। 

संगम वापस लौटकर आचमन किया गया व प्रार्थना के साथ दूसरे दिन की परिक्रमा का श्री दत्तात्रेय शिविर में विश्राम किया गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व  जूना अखाड़े द्वारा पंचकोशी परिक्रमा के दौरान बड़ी संख्या में संतो के साथ श्रद्धालु उपस्थित रहे। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि प्राचीन समय से ही पंचकोशी परिक्रमा लोगों के कष्ट दूर कर उन्हें भक्ति मार्ग पर ले जाने का कार्य कर रही है। सौ साल पहले पंचकोशी परिक्रमा होती थी,बीच मे किन्ही कारणों से बंद हो गयी थी। पुनः तीन वर्ष पहले शुरू हुई यह परिक्रमा अब हर वर्ष होगी। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज ने कहा कि पंचकोशी परिक्रमा आध्यात्मिक उन्नति की यात्रा है। श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि पंचकोशी परिक्रमा को हिंदू शास्त्रों में बहुत महत्व दिया गया है। यह परिक्रमा भक्त व भगवान को पास लाने का कार्य करती है। पूर्वाम्नाय गोवर्धन पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ जी महाराज ने कहा कि पंचकोषी परिक्रमा भव सागर से पार उतारने वाली परिक्रमा है। इसको करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है।  परिक्रमा के दूसरे दिन अरैल स्थित श्री शूलटंकेश्वर महादेव जी का दर्शन व पूजन, अरैल स्थित आदि माधव जी का दर्शन व पूजन, अरैल स्थित चक्र माधव जी का दर्शन व पूजन,अरैल स्थित सोमेश्वर महादेव जी का दर्शन व पूजन, छिंवकी स्थित गदा माधव जी का दर्शन व पूजन, ग्राम महेवा स्थित श्री भैरव जी का दर्शन व पूजन का सौभाग्य प्राप्त होता है।  हिमालय पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर वीरेंद्रानंद गिरि महाराज ने कहा कि पंचकोशी परिक्रमा जन्म-मरण के बंधन से छुटकारा दिलाती है। कहा कि पंचकोशी परिक्रमा का इतिहास 3 हजार साल से भी पुराना है। लेटे हुए हनुमान के महंत बलवीर गिरि महाराज, जूना अखाडे के सलाहकार मुन्नी लाल पांडे, महामंडलेश्वर मोहननंद यती गोरख बाबा, महामंडलेश्वर ब्रहमानंद आश्रम महाराज, शंकरानंद गिरि महाराज, माघ मेले के प्रबंधक विवेक चतुर्वेदी, चंद्रिका प्रसाद त्रिपाठी दयानंद, हाईकोर्ट की विशेष बैंच की जज मंजू रानी चौहान, वरिष्ठ अधिवक्ता डी आर चौधरी, लक्ष्मी कांत त्रिपाठी, थानापति महंत कैलाश गिरि महाराज, महंत शंकर गिरि महाराज,  जूना अखाडे के मंहत पवन गिरि महाराज, थानापति आदित्य गिरि महाराज, स्वामी कृष्णानंद गिरि महाराज, वरिष्ठ पत्रकार पी एन द्विवेदी, माघ मेला कैंप दत्तात्रेय सेवा समिति संगम अक्षय वट रोड आयोजक धीरेंद्र कुमार द्विवेदी, दिलीप गोस्वामी, नीलू गोस्वामी आदि ने भी परिक्रमा में भाग लिया व संगम स्नान.पूजन किया।

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