गुजरात व एनसीआर में 9 अप्रैल से प्रारंभ होगी ज्योति कलश रथ यात्रा
संकल्प के साथ आगे बढ़ने का समय ः डॉ चिन्मय पंड्या
हरिद्वार, 22 मार्च देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति एवं युवा आइकॉन डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि यह समय नये संकल्प के साथ आगे बढ़ने का समय है। देश के प्रत्येक व्यक्ति, परिवार और समाज में जन जागरण का अवसर है। नये युग के आगमन का समय है। ऐसे दिव्य अवसर में हम सभी को संगठित होकर सकारात्मक सोच एवं संकल्प के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
युवा आइकॉन डॉ. चिन्मय पण्ड्या गुजरात व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा निकलने वाली ज्योति कलश रथ यात्रा कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। शांतिकुंज के मुख्य सभागार में आयोजित उद्घाटन सत्र में डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि ज्योति कलश रथ यात्रा के माध्यम से परिचय सत्र-नींव के पत्थरों का अनुभव लेना, प्रेम भावना विकसित करना, भावी योजनाओं के लिए प्रस्ताव तथा योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए सतत प्रयास करते रहना है। इससे एक ओर जहाँ सकारात्मक सोच, व्यक्तित्व संपन्न व्यक्ति एकजूट होंगे, वहीं दूसरी ओर समाज में नकारात्मकता कम होगी। जिस तरह से दीपक जलाने से अंधेरा अपने आप दूर हो जाता है। युगऋषि पूज्य पं0 श्रीराम शर्मा आचार्य के विचारों को उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन दिनों पांच वीरभद्र अपने अलग अलग स्वरूपों में कार्य कर रहे हैं। वायुमण्डल के परिशोधन, वातावरण के परिष्कार, नये युग के आगमन, देवमानवों को जोड़ने तथा प्रतिभा सम्पन्न लोगों में अच्छे विचारों का पोषण जैसे कार्य में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि यह समय विकट है, सभी ओर श्रद्धावानों, कर्मशीलों को पुकार रहा है कि भारतीय संस्कृति- सनातन संस्कृति के लिए कार्य करें, जिससे युवा पीढ़ी को दुर्व्यसन आदि से बचाया जा सके। इस अवसर पर उन्होंने ज्योति कलश रथयात्रा के उद्देश्यों, परिकल्पनाओं एवं योजनाओं पर विस्तृत जानकारी दी। इसके साथ ही डॉ ओपी शर्मा, प्रो. प्रमोद भटनागर, श्री श्याम बिहारी दुबे, प्रो. विश्वप्रकाश त्रिपाठी, श्री योगेन्द्र गिरि, श्री उदय किशोर मिश्र, डॉ विरल पटेल, श्री बालरूप शर्मा आदि ने भी अपने विचार प्रकट किये। इस अवसर गुजरात व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से आये सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
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देसंविवि में वैज्ञानिक अध्यात्मवाद पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन
कार्यशाला में 80 शोध पत्र पढ़े गये, प्रतिभागियों को किया गया सम्माानित
हरिद्वार 22 मार्च।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक अध्यात्म पर अयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आज समापन हो गया। समापन सत्र में पैनल चर्चा हुई और प्रतिभागियों ने अपने अनुभवों को साझा किये। देसंविवि के संकायाध्यक्ष श्री संदीप कुमार, डॉ पीयूष त्रिवेदी और डॉ कृष्णा झरे ने वैज्ञानिक अध्यात्म पर अपने विचार रखे। साथ ही सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिह्न व प्रमाण पत्र आदि भेंटकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर डॉ राजेश रंजन ने यज्ञ का अध्यात्म विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के विषय पर चर्चा की। डॉ अमिताभ सराफ जी ने युगऋषि तपोनिष्ठ पंडित श्री राम शर्मा आचार्य द्वारा लिखित पुस्तक काया ऊर्जा एवं उसकी चमत्कारी शक्ति से अपनी आध्यात्मिकता की यात्रा के विषय में बताई। पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉ सुखनंदन सिंह ने भी अपने विचार प्रकट किया। डॉ संतोष विश्वकर्मा, सुश्री पूनम जी, कुमुदिनी मुदुली जी एवं डॉ गायत्री शर्मा जी इत्यादि लोगों ने वैज्ञानिक अध्यात्मवाद पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। कार्यशाला में कुल 80 शोधपत्र पढ़े गये।
पश्चात प्रतिभागियों ने युगऋषि द्वारा स्थापित शांतिकुंज, देवसंस्कृति विवि की विभिन्न गतिविधियों का अध्ययन किया और शांतिकुंज व देसंविवि वैज्ञानिक अध्यात्मकवाद पर हो शोध कार्य से अवगत हुए।
समापन समारोह से पूर्व प्रतिभागियों ने शांतिकुंंज स्थित चैतन्य तीर्थ प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा व सन 1926 से सतत प्रज्वलित सिद्ध अखण्ड दीपक के दर्शन किया और ब्रह्मवादिनी बहिनों द्वारा संचालित 27 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में सर्वे भवन्तु सुखिनः के भाव से आहुतियाँ दी।
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