वैदिक जीवन पद्धति से ही श्रेष्ठ मानव निर्माण सम्भव
हरिद्वार 30 मई गुरुकुल काँगड़ी समविश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में द्विदिवसीय अंतरराष्ट्रीय
शोध-संगोष्ठी का प्रारम्भ हुआ। कार्यक्रम में गुरुकुल के कुलपति प्रो० अम्बुज शर्मा ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि वैदिक शिक्षाएँ वर्तमान में अत्यधिक प्रासंगिक है। कार्यक्रम के मुख्यातिथि, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० दिनेशचन्द्र शास्त्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति के सम्पोषण से ही विश्व की वर्तमानकालीन समस्याओं का समाधान सम्भव है। मुख्यवक्ता केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो० विजयपाल प्रचेता ने “आधुनिक समस्याएं एवं वैदिक जीवन पद्धति” विषय पर अपना पक्ष प्रस्तुत किया। संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो० ब्रह्मदेव विद्यालंकार ने स्वागत उद्बोधन से अतिथियों का स्वागत किया। विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर सोमदेव शतांशु ने कहा कि मानवीय मूल्यों में ह्रास के कारण वर्तमानकालीन समाज में विविध प्रकार की समस्याएँ निरंतर बढ़ती जा रही है, पारिवारिक विघटन, सामाजिक वैमनस्यता, संस्कार एवं संवेदनाओं की शून्यता, क्षेत्रवाद, जातिवाद, आतंकवाद, राजनीतिक कलुषता, आर्थिक कदाचार तथा पर्यावरण विषयक समस्याएँ निरंतर विकराल रूप धारण करती जा रही है, उक्त समस्त समस्याओं का समाधान वेद एवं संस्कृतसाहित्य में जीवन पद्धति के आचरण से ही संभव है वैदिक जीवन पद्धति मनुष्य को श्रेष्ठता प्रदान करती है श्रेष्ठ मानव ही एक आदर्श परिवार व समाज का निर्माण कर सकता है तथा श्रेष्ठ परिवार व समाज एक श्रेष्ठ राष्ट्र को द्योतित करता है आधुनिक सभी समस्याओं के समाधान के लिए वैदिक जीवन पद्धति का प्रचार प्रसार परमावश्यक है। सत्र का संयोजन डा० सुनीति आर्या, कन्यापारिसर, गु०का० ने किया। मध्याह्नोपरान्त आनलाइन एवं आफलाइन के माध्यम से देश-विदेश से ४० से अधिक शोधछात्र-छात्राओं ने, शिक्षक तथा विद्वानों ने अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में डा० वेदव्रत, डा० बबलू वेदालंकार, डा० शिवानन्द, डा० भारत वेदालंकार आदि उपस्थित रहे।
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