अंतरराष्ट्रीय शोध गोष्ठी का हुआ समापन

 वेदवचनों के अनुपालन से ही वैदिक जीवन पद्धति का रक्षण सम्भव है

हरिद्वार 1 जून गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय हरिद्वार के संस्कृत विभाग में “आधुनिक समस्या एवं वैदिक जीवन पद्धति” विषय पर द्विदिवसीय अन्तर्राष्ट्रिय शोध संगोष्ठी का आयोजन


किया गया। इस शोधसंगोष्ठी में आनलाइन एवं आफलाइन माध्यम से पाँच सत्रों में देश विदेश के प्राय ७० विद्वानों ने अपने सार गर्भित शोध पत्र प्रस्तुत किए। शोध संगोष्ठी के समापन सत्र के अध्यक्ष प्रो० मानसिंह, पूर्व आचार्य, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने कहा कि वैदिक जीवन पद्धति से ही समाज में नष्ट हो रही नैतिकता को पुनरुज्जीवित किया जा सकता है। विशिष्ट अतिथि प्रो० महावीर अग्रवाल ने बताया कि वैदिक जीवन पद्धति का मूल आधार वैदिक गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति है। मुख्य वक्ता एवं गु० का० के पूर्व कुलपति तथा वरिष्ठ आचार्य प्रो० सोमदेव शतांशु ने वेद के वचनों के जीवन में अनुपालन पर बल देते हुए कहा कि वैदिक जीवन पद्धति को समाज में पुनः स्थापित करने के लिये शुभसंकल्पों के साथ उनका पालन भी जरूरी है। समापन सत्र में विभागाध्याक्ष प्रो० ब्रह्मदेव विद्यालंकार ने सभी उपस्थित विद्वानों को धन्यवाद ज्ञापित किया। सत्र का संचालन डा० शिवानन्द बेहेरा, संस्कृत विभाग, गु० का० वि० वि० ने किया। कार्यक्रम में डा० वेदव्रत, डा० बबलू वेदालंकार, डा० सुनीति, डा० भारत वेदालंकार, डा० विपिन तथा अनेक विश्वविद्यालयों से प्रतिष्ठित विद्वान एवं बडी संख्या में शोधछात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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