*हरिद्वार 5 अक्टूबर शुक्रवार को श्री रामलीला कमेटी पंचपुरी की ओर से चल रही रामलीला में राजा दशरथ ने अपने राजधर्म का पालन करते हुए जब अपने बड़े पुत्र श्रीराम को राजगद्दी सौंपने की घोषणा की तो अयोध्या में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई, लेकिन देवताओं में खलबली मच गयी। जिस दिन राम का राजतिलक होना था उसी दिन उन्हें 14 वर्ष के वनवास पर जाना पड़ा। इस मार्मिक दृश्य का जीवंत मंचन देख दर्शक भावविभोर हुए।*
रामलीला कमेटी के अध्यक्ष विरेन्द्र चढ्ढा ने बताया कि श्रीहरि के त्रेतावतारी भगवान राम को दुष्टों का दलन कर समाज में समरसता का वातावरण स्थापित करना था। राजगद्दी पर बैठकर वे ऐसा नहीं कर पाते। इसीलिए राजा दशरथ के दरबार की राम के राज्याभिषेक की घोषणा की खबर जब नारद ने राजा इन्द्र को सुनाई तो उन्होंने इसके लिये तानाबाना बुना। इन्द्र ने आदि शक्ति के नौ स्वरूपों की स्तुति की। तब स्वयं मां सरस्वती ने इन्द्र दरबार में जाकर राम राज्य का सपना साकार करने का संज्ञान लिया और मंथरा नामक कुबड़ी दासी के माध्यम से रानी कैकई की सोच बदल दी। वे कोपभवन में चली गई और राजा दशरथ से स्वयं को पूर्व में दिए दो वरदान मांग लिए। इनमें पहला भरत को राजगद्दी और दूसरे में राम को चौदह वर्ष के वनवास की मांग की। इस पर राजा दशरथ संकट में पड़ गए। राजा दशरथ ने अपने दिए वचनों को यथावत रखते हुए कहा कि मैं अपने कुल की मर्यादा को नहीं तोडूंगा भले ही प्राणों का उत्सर्ग करना पड़े। आखिर में देवताओं की चाल कामयाब हुई और राम को राजतिलक के स्थान पर चौदह वर्ष के लिये वनवास पर जाना पड़ा।
लीला का मंच संयुक्त रूप से संचालन कर रहे संदीप कपूर एवं विनय सिंघल ने आए हुए अतिथियों को स्वागत हेतु मंच पर आमंत्रित किया।अपने मौलिक तथा प्रेरणादायी दृश्यों के लिए प्रसिद्ध बड़ी रामलीला लीला मंचन के माध्यम से दर्शकों की प्रशंसा लूटने हेतु कमेटी ने अत्यधिक प्रयत्न किया एवं सफ़लता प्राप्त की।
मुख्य दिग्दर्शक भगवत शर्मा मुन्ना, सहायक दिग्दर्शक मनोज सहगल, संगीत दिग्दर्शक विनोद नयन, सहायक संगीत दिग्दर्शक साहिल मोदी के अत्यधिक प्रयासो के कारण ही आज की लीला को सफल बनाया जा सका है। सम्पूर्ण व्यवस्था को सकुशल सम्पन्न कराने में श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष वीरेन्द्र चड्ढा, ट्रस्ट के अध्यक्ष सुनील भसीन, ट्रस्ट के मंत्री रविकांत अग्रवाल, कमेटी के महामंत्री महाराज कृष्ण सेठ, कोषाध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल, ऋषभ मल्होत्रा, विशाल गोस्वामी, राहुल वशिष्ट, अंजना चड्डा, सदस्य पवन शर्मा, दर्पण चड्ढा, मनोज बेदी, सुनील वधावन, विकास सेठ,
गोपाल छिब्बर, कन्हैया खेवडिया, नीरज भसीन, वीरेंद्र गोस्वामी सहित सम्पूर्ण कार्यकारिणी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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